शैक्षिक तकनीकी के प्रकार

 शैक्षिक तकनीकी के प्रकार (Types of Educational Technology)




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शैक्षिक तकनीकी के चार प्रकार होते हैं


  1. शिक्षा तकनीकी ( Teaching technology )
  2. व्यवहार तकनीकी ( Behavioural Technology )
  3. अनुदेशन तकनीकी ( Instructional Technology )
  4. अनुदेशन प्रारूप ( Instructional design )




शिक्षा तकनीकी (Teaching Technology)


शिक्षण विकास की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो शिक्षक छात्र के अंतः प्रक्रिया द्वारा संपन्न होती है शिक्षा के दो तत्व माने गए हैं पाठ्यवस्तु  कक्षा व्यवहार अथवा संप्रेषण।
शिक्षा शास्त्र की प्रमुख सामाजिक एवं व्यवसायिक क्रिया शिक्षा है सामाजिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक सिद्धांतों तथा अधिनियम को शिक्षण प्रक्रिया में किन्ही विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति करने के प्रयोग को शिक्षण तकनीकी कहते हैं शिक्षण एक उद्देश्य प्रक्रिया है जिसका अंतिम लक्ष्य बालक का पूर्ण विकास करना है यदि किन्ही सिद्धांतों को शिक्षण में प्रयोग किया जाए और अपेक्षित उद्देश्य की प्राप्ति हो सके तब पाठ्यवस्तु को शिक्षण तकनीकी की संज्ञा दी जाती है शिक्षण को कला के साथ एक विज्ञान भी मानने लगे हैं क्योंकि शिक्षण प्रक्रिया का विश्लेषण वस्तुनिष्ठ रूप में किया जा सकता है


शिक्षण तकनीकी की परिभाषाएँ (Definition of Teaching technology)


 आई. के. डीवीज के अनुसार,“शिक्षण तकनीकी में समस्त पाठ्यवस्तु को क्रमशः चार सोपानों- नियोजन, व्यवस्था, अग्रसरण तथा नियंत्रण में विभाजित कर अध्ययन किया जाता है”

बी. ओ. स्मिथ के अनुसार, “शिक्षा तकनीकी, क्रियाविधियों से युक्त वह प्रक्रिया है जो छात्रों में सीखने के प्रति उत्सुकता जागृत करती है”

स्किनर के अनुसार,  “शिक्षण तकनीकी शैक्षिक तकनीकी का एक अंग है जो अध्यापक को प्रभावकारी बनाकर शिक्षण प्रक्रिया को अधिक समृद्धशाली बनाता है”

 शिक्षण तकनीकी की विषय वस्तु (Content of Teaching Technology)


शिक्षा तकनीकी की विषय वस्तु को चार भागों में विभाजित किया गया है

  1.  शिक्षा नियोजन ( Planning of Teaching )― इसके अंतर्गत पाठ्य वस्तु विश्लेषण, शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण, उद्देश्यों को व्यवहारिक रूप में लिखना आदि क्रियाएं आती हैं
  2. शिक्षण व्यवस्था ( Organization of Teaching )― इसमें उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समुचित शिक्षण आव्यूह तथा प्रवृत्तियों का चयन करना, अनुदेशन के नियमों का निर्धारण करना आदि क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं
  3. शिक्षण का अग्रसरण ( Leading of Teaching )― इसके अंतर्गत समुचित संप्रेषण विधियों का चयन करके प्रयोग करना जिससे अपेक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके। शिक्षा प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अभिप्रेरणा की विभिन्न प्रविधियों का चयन किया जाता है
  4. शिक्षा का नियंत्रण ( Controlling of Teaching )― इसका तात्पर्य मूल्यांकन से है जिससे जाँचा जा सकेगी की अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति कहां तक हो चुकी है इसके लिए शिक्षक परीक्षा का निर्माण करता है

शिक्षा तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching technology)


  1. शिक्षण तकनीकी अदा (Input), प्रक्रिया (Process), प्रदा (Output)  तीनों पक्षों से संबंधित होती है
  2. शिक्षण तकनीकी में ज्ञानात्मक, भावात्मक, क्रियात्मक तीनों पक्षों के उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है
  3. शिक्षण तकनीकी सीखने के स्वरूप को वैज्ञानिक, सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक मानती है
  4. शिक्षण तकनीकी में स्मृति स्तर से चिंतन स्तर के शिक्षण की व्यवस्था की जाती है
  5. शिक्षण तकनीकी में शिक्षण सिद्धांतों के प्रतिपादन का प्रयास किया जाता है
  6. शिक्षण तकनीकी द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली एवं सार्थक को बनाया जा सकता है
  7. शिक्षण तकनीकी शिक्षण को अधिक व्यावहारिक एवं प्रयोगात्मक विषय बनाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करती है
  8. शिक्षक व छात्र दोनों को सक्रिय रखने का काम करती है
  9. यह शिक्षकों को अपने छात्रों के व्यवहार को नियंत्रित करना सिखाती है
  10. इससे शिक्षण प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित व संगठित होती है
  11. इसके द्वारा शिक्षण प्रक्रिया अधिक स्पष्ट, सरल, वस्तुनिष्ठ तथा वैज्ञानिक बनती है
  12. यह बच्चों को समाज के साथ समायोजन तथा समस्याओं को स्वयं सुलझा ने के योग्य बनाती है




 व्यवहार तकनीकी (Behavioural Technology)


शैक्षिक परिस्थितियाँ कक्षागत व्यवहार को जन्म देती हैं इसीलिए अध्यापक व विद्यार्थी के व्यवहार का अध्ययन आवश्यक हो जाता है साथ ही व्यक्तित्व भिन्नताओं, विद्यार्थियों में निहित क्षमताओं तथा कुशलताओं को  ज्ञात करने हेतु व्यवहार तकनीकी का अध्ययन आवश्यक होता है इस प्रकार तकनीकी का मुख्य उद्देश्य अध्यापक और विद्यार्थी के व्यवहार में वांछित परिवर्तन व सुधार लाना है

मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान कहते हैं मनोविज्ञान जीवो के व्यवहार की प्रकृति तथा स्वरूप का अध्ययन करते हैं अधिगम का तात्पर्य व्यवहार परिवर्तन से है शिक्षा में समस्त क्रियाएं व्यवहार परिवर्तन से संबंधित होती हैं

व्यवहार तकनीकी की प्रक्रिया के अंतर्गत तीन पहलू महत्वपूर्ण होते हैं― प्रथम उसका पुनर्बलित व्यवहार, दूसरा सीखना तथा तीसरा उसके परिणाम स्वरूप उत्पन्न व्यवहार में सापेक्षिक स्थाई परिवर्तन।

व्यवहार तकनीकी की परिभाषाएँ (Definition of Behavioural Technology)


ड्रेवर के अनुसार, “व्यवहार अनुक्रियाओं का कुल योग है जिसे कोई भी प्राणी जीवन की परिस्थितियों के प्रति करता है  जिससे उसका सामना होता है”

“व्यवहार  तकनीकी शैक्षिक तकनीकी की वह शाखा है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक ढंग से शिक्षक के व्यवहार का निरीक्षण, विश्लेषण तथा मूल्यांकन करना है”

“ व्यवहार तकनीक का प्रमुख उद्देश्य मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का शिक्षा तथा प्रशिक्षण में प्रयोग है”

व्यवहार तकनीकी की विषय वस्तु (Content Of Behavioural Technology)


  1. शिक्षण तथा शिक्षक व्यवहार का अर्थ तथा परिभाषा
  2. व्यवहार के सिद्धांतों तथा मान्यताएं
  3. अध्यापक व्यवहार का स्वरूप तथा विश्लेषण
  4. अध्यापक व्यवहार की निरीक्षण विधियां
  5. कक्षा अंतः प्रक्रिया अध्ययन विधियां
  6. माइक्रो टीचिंग तथा मिनी टीचिंग
  7. विभिन्न कक्षा गत व्यवहारों का अध्ययन, व्याख्या तथा मूल्यांकन एवं मापन
  8. सामूहिक शिक्षण
  9.  अध्यापक व्यवहार के प्रतिमान
  10.  प्रशिक्षण समूह

व्यवहार तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristics Of Behavioural Technology)


  1. शिक्षण की समस्याओं का मूल्यांकन वस्तुनिष्ट रूप से किया जा सकता है
  2. यह शिक्षण सिद्धांतों के विकास में सहायक है
  3. व्यवहार तकनीकी शिक्षकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं पर बल देती है
  4. यह मनोवैज्ञानिक सिद्धांत का शिक्षण व प्रशिक्षण में प्रयोग करती है
  5. इस तकनीकी में शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों प्रकार के व्यवहारों में परिवर्तन करने का प्रयास किया जाता है
  6. यह व्यवहारिक उद्देश्यों के साथ ज्ञानात्मक और क्रियात्मक उद्देश्यों की पूर्ति भी करती है
  7. इसका उद्देश्य कक्षा के अंदर शिक्षक व छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाना है
  8. यह शिक्षण कौशल का विकास करती है
  9. इसके प्रयोग से शिक्षण संस्थाएँ अच्छे शिक्षक तैयार कर सकती हैं
  10. यह शिक्षक अभ्यासकाल में छात्राअध्यापकों को पुनर्बलन प्रदान करती है





अनुदेशन तकनीकी (Instructional Technology)


अनुदेशन तकनीकी को निर्देशन तकनीकी भी कहते हैं अनुदेशन का अर्थ उन क्रियाओं से होता है जो अधिगम में सुविधाएं प्रदान करती हैं इसमें शिक्षक और छात्र के मध्य अंतः क्रिया आवश्यक नहीं होती साधारणतया शिक्षण और अनुदेशन में कोई अंतर नहीं होता दोनों में छात्रों को सिखाने की प्रेरणा दी जाती है।
शिक्षण तकनीकी की भांति अनुदेशन तकनीकी भी शैक्षिक तकनीकी से प्रथक नहीं है अनुदेशन तकनीकी दो शब्दों से मिलकर बना है पहला अनुदेशन दूसरा तकनीकी। अनुदेशन का मतलब सूचनाएं प्रदान करना।  अतः अनुदेशन तकनीकी एक ऐसा विषय है ‛जो उपलब्ध साधनों के संदर्भ में स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तथा छात्रों में विशेष व्यवहार परिमार्जन करता है’
अतः यह कहा जा सकता है कि अनुदेशन तकनीकी शैक्षिक तकनीकी की वह शाखा है जो हमें शिक्षा सामग्री तथा अन्य दृश्य श्रव्य सामग्री के सही उपयोग के विषय में सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक दोनों प्रकार की सूचनाएं प्रदान करता है

अनुदेशन तकनीकी की परिभाषाएँ (Definition Of Instructional Technology)


ए. आर. शर्मा के अनुसार,“ अनुदेशन तकनीकी का तात्पर्य प्रविधियों अथवा विधियों के उस समूह से है जो किन्हीं सुनिश्चित अधिगम लक्ष्यों को प्राप्त करता है” 

मैकमरिन के अनुसार, “अनुदेशन तकनीकी का प्रयोग कोमल एवं कठोर शिल्प के लिए ही नहीं वरन् इन विधियों के मूल में निहित सिद्धांतों की व्याख्या के लिए भी किया जाता है”

अनुदेशन तकनीकी की विषय-वस्तु (Content of Instructional Technology)

  1. अनुदेशन तकनीकी का अर्थ परिभाषा एवं विकास
  2. अभिक्रमित अनुदेशन की उत्पत्ति, विकास एवं परिभाषा
  3. अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार उनकी विशेषताएं, सिद्धांत, संरचना तथा आधारभूत मान्यताएं एवं उपयोग
  4. व्यक्तिगत विभिन्नता के लिए समायोजन प्रविधियाँ
  5. कंप्यूटर की सहायता द्वारा अनुदेशन
  6.  नियम एवं उदाहरण प्रणाली द्वारा अनुदेशन
  7. अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री का निर्माण
  8. अभिक्रमित अनुदेशन के क्षेत्र में शोध एवं प्रयोग तथा नवीन विचारधाराएँ

अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristic of Instructional Technology)

  1.  इस समय छात्रों को सही अनुक्रिया दिया जाता है
  2.  यह तकनीकी मनोवैज्ञानिक तथा अधिगम के सिद्धांतों पर आधारित है
  3. अनुदेशन विभिन्न प्रकार की दृश्य श्रव्य सामग्री, विधियों, प्रविधियों द्वारा प्रदान किया जाता है
  4.  अनुदेशन तकनीकी शिक्षा को प्रभाव में बनाते हैं
  5.  अनुदेशन तकनीकी का प्रमुख कार्य सूचनाएं प्रदान करना है
  6. अनुदेशन तकनीकी के माध्यम से ज्ञानात्मक उद्देश्य को अधिक प्रभावशाली विधि से प्राप्त किया जा सकता है
  7. अनुदेशन तकनीकी से सही उत्तर का पुनर्बलन होता है
  8. छात्रों को इस तकनीकी के प्रयोग से अपनी गति के अनुसार सीखने के अवसर मिलते हैं
  9.  इसके माध्यम से अनुदेशन सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है
  10. यह पाठ्यवस्तु तथा इसके तत्वों को तार्किक क्रम में बहुत ध्यान देती है
  11. यह शिक्षकों के अभाव में शिक्षा प्रक्रिया जारी रखती है
  12.  यह शिक्षा व सीखने की प्रक्रिया को प्रेरित करने में सहायक है
Note― यह तीनों प्रकार ही मुख्य हैं पर कहीं-कहीं चौथे प्रकार को भी शिक्षा तकनीकी के प्रकार में रखा जाता है





 अनुदेशन प्रारूप (Instructional Designs)


प्रत्येक शोध कार्य का एक प्रारूप होता है यह प्रारूप कुछ सिद्धांतों पर कार्य करता है प्रारूप के द्वारा ही हम प्रतिमान(model) का विकास करते हैं और अंत में उनको सिद्धांत के रूप में स्थापित कर देते हैं अतः प्रारूप विधि वैज्ञानिक रीति से जांच किए गए सिद्धांतों पर आधारित होती है शोधकर्ता किसी भी शोध कार्य को कुछ धारणाओं या कल्पनाओं के आधार पर प्रारंभ करता है और उपकल्पनाओं की वैज्ञानिक पद्धति की जांच करके निष्कर्ष निकलता है

शैक्षिक तकनीकी का चतुर्थ वर्ग अनुदेशन प्रारूप कराता है शिक्षण प्रक्रिया में अनुदेशन प्रारूप का अपना महत्वपूर्ण स्थान है अनुदेशन दो शब्दों से मिलकर बना है पहला अनुदेशन दूसरा प्रारूप। अनुदेशन का अर्थ है सूचना देना प्रारूप का अर्थ है ‛वैज्ञानिक विधियों से जांच किए गए सिद्धांतों से’ 

छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए सीखने के सिद्धांतों के साथ प्रशिक्षण की परिस्थितियों, कार्य, विधियों और उपागमों के सम्मिलित रूप को अनुदेशन प्रारूप कहा जाता है

अनुदेशन प्रारूप की परिभाषाएँ ( Definition of Instructional Designs)


डेरिक अनविन के अनुसार, “अनुदेशन प्रारूप आधुनिक कौशल प्रविधियों तथा युक्तियों का शिक्षा और प्रशिक्षण में प्रयोग है अनुदेशन प्रारूप, इन कौशलों, प्रविधियों तथा युक्तियों आदि के माध्यम से शैक्षिक वातावरण को नियंत्रित करते हैं और कक्षा में सीखने तथा सिखाने के कार्य को सरल सुगम और उपादेय बनाते हैं”

एम. डेविड मेंरिल के अनुसार, “अनुदेशन प्रारूप विशिष्ट वातावरण सम्बन्धी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने एवं उत्पन्न करने की प्रक्रिया है जिसे विद्यार्थी में ऐसी अंतः क्रिया होती हैं कि उसे व्यवहार के एक विशेष प्रकार का परिवर्तन संभव होता है”

अनुदेशन प्रारूप के प्रकार

 अनुदेशन प्रारूप के तीन प्रकार होते हैं

  1.  प्रशिक्षण मनोविज्ञान प्रारूप (Training Psychology Design)
  2. संप्रेषण नियंत्रण प्रारूप (Cybernetic Design)
  3. प्रणाली उपागम (System Approach)
यदि इस टॉपिक में आपको कोई और जानकारी चाहिए तो आप मुझे कमेंट में मुझे बता सकते हैं मैं जल्द ही उसे उपलब्ध कराने की कोशिश करूंगा।


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