अभिवृद्धि और विकास का अर्थ, परिभाषा, अन्तर
अभिवृद्धि और विकास
अभिवृद्धि और विकास का अर्थ
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का दिन करता है तथा उसका लक्ष्य बालक के व्यवहार में वांछित व्यवहार परिवर्तन करना है सामान्य बोलचाल की भाषा में अभिवृद्धि एवं विकास दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है किंतु इन दोनों शब्दों के वास्तविक अर्थ में अंतर होता है अभिवृद्धि से तात्पर्य आकार वजन विस्तार जटिलता आदि की दृष्टि से बढ़ना जबकि विकास का अर्थ व्यक्ति का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाना है इस प्रकार अभिवृद्धि का स्वरूप परिमाणात्मक रहता है जबकि विकास का स्वरूप गुणात्मक होता है विकास का तात्पर्य अधिक व्यापक है विकास व्यक्ति की क्रियाओं में निरंतर होने वाले परिवर्तन में दिखाई देता है
अभिवृद्धि तथा विकास की परिभाषाएं
फ्रैंक के अनुसार― “अभिवृद्धि से तात्पर्य कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि से होता है जैसे- लंबाई और भार में वृद्धि, जबकि विकास से तात्पर्य प्राणी में होने वाले संपूर्ण परिवर्तन से होता है”
हरलॉक के अनुसार― “विकास बड़े होने तक ही सीमित नहीं है वरन् इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है विकास के फल स्वरुप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं तथा नवीन योग्यताएं प्रकट होती हैं”
मेरीडिथ के अनुसार― “कुछ लेखक अभिवृद्धि का प्रयोग केवल आकार की वृद्धि के अर्थ में करते हैं और विकास का विभेदीकरण के अर्थ में”
अभिवृद्धि और विकास में अन्तर
अभिवृद्धि
|
विकास
|
जीवन
पर्यंत
वृद्धि नहीं
होती एक
निश्चित आयु
के बाद रुक
जाती है
|
विकास का
अर्थ जीवन
पर्यंत एक
व्यवस्थित
और लगातार
आने वाला
परिवर्तन है
|
अभिवृद्धि
एकाकी
प्रक्रिया
है जो शरीर के
विभिन्न
अंगों की उत्तरोत्तर
बढ़ा रही
समन्वित
कार्य
क्षमता में वृद्धि
को दर्शाता
है
|
विकास के
परिणाम
स्वरुप
व्यक्ति में
नवीन क्षमताएं
प्रकट होती
हैं क्योंकि
यह एक बहुआयामी
प्रक्रिया
है
|
अभिवृद्धि
मनुष्य की
विकास
प्रक्रिया
का हिस्सा या
एक पहलू है
विकास एक
व्यापक और
परिज्ञान
वाला शब्द है
|
इसमें
वृद्धि भी
सम्मिलित है
तथा उन सभी
परिवर्तनों
को भी
सम्मिलित
करता है जो
जीवधारी के
आंतरिक स्तर
पर होते हैं
हैं यह
शारीरिक, बौद्धिक,
भावनात्मक,
सामाजिक
और सौंदर्य
बोध जैसे
विकास के सभी
पहलुओं को
सम्मिलित
करता है
|
अभिवृद्धि
से होने वाले
परिवर्तन
मापे जा सकते
हैं
|
विकास में
गुणात्मक
परिवर्तन
आता है जिसका
मापन करना
बहुत कठिन है
|
अभिवृद्धि
के साथ विकास
हो भी सकता है
एक बालक का
भार या मोटापा
बढ़ने के साथ
यह आवश्यक
नहीं है कि वह
किसी कार्यात्मक
परिष्कार को
प्राप्त कर
ले
|
अभिवृद्धि
के बिना
विकास हो
सकता है कुछ
बालकों के कद
भार या आकार
में वृद्धि
ना होने पर भी वे
बौद्धिक, सामाजिक,
भावनात्मक
या बौद्धिक
पहलुओं में
विशेष कार्य
अनुभव वाले
हो सकते हैं
|
अभिवृद्धि
में
व्यक्तिगत
भेद होते हैं
प्रत्येक
बालक की
वृद्धि समान
नहीं होती
|
विकास की
दर, सीमा में
अंतर होते
हुए भी इस में
समानता पाई जाती
है
|
मात्रात्मक
पहलू में
परिवर्तन
अभिवृद्धि के
क्षेत्र में
आता है
|
यह
मात्रात्मक
पहलुओं का
नहीं बल्कि
गुणात्मक और
स्वरूप के परिवर्तन
का संकेत
देता है
|
अभिवृद्धि
का संबंध
शारीरिक
|
मानसिक
परिपक्वता
से है
|
परिपक्व
अवस्था
प्राप्त
होते ही
अभिवृत्ति रुक
जाती है
|
विकास कभी
भी नहीं
रुकता
परिपक्वता
की अवस्था
प्राप्त
होने पर भी
नहीं
|
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