आगमन, निगमन, विश्लेषण, संश्लेषण, प्रयोगशाला/प्रोजेक्ट, अनुसंधान/ह्यूरिस्टिक विधि

अध्यापक विधियां/शिक्षण विधियां





किसी भी जटिल विषय वस्तु को छात्रों के सामने सरल ढंग से प्रस्तुत करना शिक्षण कहलाता है किसी विषय वस्तु को छात्रों तक पहुंचाने में जिस माध्यम की आवश्यकता होती है उसे शिक्षण विधि कहते हैं प्रमुख शिक्षण विधियां निम्न है




  1. आगमन विधि (Inductive method)
  2. निगमन विधि (Deductive method)
  3. विश्लेषण विधि (Analytic method)
  4. संश्लेषण विधि (Synthetic method)
  5. प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)
  6. अनुसंधान विधि/ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristic method)





इनमें से कुछ विधियों की चर्चा हम नीचे करेंगे

आगमन विधि


यह विधि शिक्षण में एक महत्वपूर्ण प्रभावशाली विधि है इस विधि के बारे में लैंडल ने कहा था कि जब कभी हम बालको के सम्मुख बहुत से तथ्य, उदाहरण या वस्तुएं प्रस्तुत करते हैं और फिर इसके स्वयं से निष्कर्ष निकलवाने का प्रयत्न करते हैं तब हम शिक्षण की आगमन प्रणाली का प्रयोग करते हैं इस विधि में छात्रों को शिक्षण के समय नियमों सिद्धांतों को पहले से नहीं बताया जाता इसमें ज्ञात से अज्ञात की ओर एवं विशिष्ट से सामान्य की ओर शिक्षण सूत्रों का अनुसरण किया जाता है इस विधि के तीन सूत्र हैं


  • ज्ञात से अज्ञात की ओर।
  • विशिष्ट से सामान्य की ओर।
  • स्थूल से सूक्ष्म की ओर।


आगमन विधि में निम्न पदों का प्रयोग किया जाता है


  • उदाहरणों का प्रस्तुतीकरण
  • निरीक्षण कार्य करना
  • सामान्यीकरण
  • सत्यापन


 गुण

  1. इस विधि में छात्र अधिक सक्रिय रहते हैं 
  2. इस विधि द्वारा स्थाई ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है 
  3. बालको के मस्तिष्क का विकास इस विधि से अधिक होता है 
  4. यह विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का पालन करती है 
  5. इस विधि में छात्र सरलतापूर्वक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं 
  6. प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होने के कारण विषय रुचि हो जाती है 
  7. इस विधि द्वारा छात्र में आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता बढ़ जाती है 
  8. इस विधि द्वारा विद्यार्थी स्वयं परिश्रम करके नवीन नियमों की खोज करते हैं 

दोष

  1. शिक्षकों को भी कठिनाई का अनुभव होता है 
  2. इस विधि में अनुभवी शिक्षकों की आवश्यकता होती है 
  3. नियमों को प्रतिपादित करने में त्रुटि की संभावना बनी रहती है 
  4. इस विधि से सीखने में अधिक समय व्यय होता है 
  5. पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो सकता 
  6. सभी विषय वस्तु को इस विधि से नहीं पढ़ाया जा सकता 
  7. अध्यापक निष्क्रिय हो जाते हैं






निगमन विधि


यह विधि आगमन विधि के पूर्णतया विपरीत है इसमें पहले छात्रों को नियम बता दिए जाते हैं इसमें पहले छात्रों को नियम और सिद्धांत बता दिए जाते हैं तत्पश्चात उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है इस विधि में नियम और सिद्धांतों की पुष्टि उदाहरणों के माध्यम से की जाती है फिर छात्र इस विधि की सहायता से किसी समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं इस विधि के सूत्र निम्न है


  • अज्ञात से ज्ञात की ओर
  • सामान्य से विशिष्ट की ओर
  • सुक्ष्म से स्थूल की ओर
  • सिद्धांत से उदाहरण की ओर


इस विधि के पद निम्न है


  • नियम अथवा सिद्धांत का प्रस्तुतीकरण
  • नियम व सिद्धांत का प्रयोग या उदाहरण देना
  • निष्कर्ष निकालना
  • सत्यापन


गुण

  1. बार-बार अभ्यास से यह विधि अधिक लाभ देती है 
  2. इस विधि से छात्रों की स्मृति शक्ति मजबूत होती है क्योंकि उन्हें अनेक सूत्र याद करने पड़ते हैं 
  3. इस विधि से किसी भी पाठ्यक्रम को निश्चित समय में पूरा किया जा सकता है 
  4. इस विधि में समय बचता है 
  5. कम समय में अधिक से अधिक प्रश्न हल कराए जा सकते हैं इसलिए अध्यापक अधिकतर इसी विधि का प्रयोग करते हैं 
  6. इसमें अध्यापक अधिक सक्रिय रहता है 

दोष

  1. इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न नहीं हो पाता 
  2. इससे प्राप्त ज्ञान स्थाई नहीं होता 
  3. इससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना उत्पन्न नहीं हो पाती 
  4. विद्यार्थियों में रटने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है 
  5. इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान अपूर्ण व अस्पष्ट रहता है 
  6. इस विधि में विद्यार्थी स्वयं से प्रयास करके ज्ञान अर्जित नहीं करता इसलिए विद्यार्थियों में जिज्ञासा, तर्क और विचार करने की शक्ति का विकास नहीं हो पाता।





अनुसंधान विधि


इस विधि की खोज प्रो. एच. ई. आर्मस्ट्रांग ने की थी इस विधि का प्रयोग विज्ञान विषय को पढ़ने के लिए किया गया था इस विधि की प्रक्रिया का केंद्र विद्यार्थी है वह पूर्व ज्ञान, निरीक्षण, परीक्षण, चिंतन, तर्क आदि द्वारा खोज करता है तथा स्वयं को शिक्षित करने का प्रयास करता है इस प्रणाली में बालक के सामने कोई समस्या प्रस्तुत कर दी जाती है समस्त छात्र उस समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं अध्यापक उन्हें समस्या का हल करने के लिए प्रोत्साहित करता है प्रत्येक बालक को व्यक्तिगत रूप से कार्य करने की स्वतंत्रता दी जाती है बालक समस्या पर विचार केवल छात्र रूप में नहीं वरन एक अन्वेषक के रूप में करते हैं यह समस्या का समाधान करने के लिए अनेक विभिन्न अंगों का विश्लेषण करते हैं आवश्यकता पड़ने पर बालक परस्पर वाद-विवाद करते हैं प्रश्न करते हैं तथा पुस्तकालय में जाकर पुस्तके देखते हैं प्रयास यही किया जाता है कि बालक स्वयं अपनी बुद्धि द्वारा समस्याओं का समाधान करें तथा अपने अंदर अन्वेषण की प्रवृत्ति का विकास करें जिससे वे नवीन नियमों, हलो तथा संबंधों की स्वयं अपने परिजनों द्वारा खोज कर सकें।

गुण

  1. छात्रों में जिज्ञासा तथा खोज अभिवृत्ति का विकास होता है  
  2. यह विधि विज्ञान की प्रकृति के निकट है 
  3. निर्णय लेने की क्षमता आती है 
  4. तार्किक प्रवृत्ति आधारित चिंतन विकास होता है 
  5. किसी भी कार्य को धैर्य से करने की क्षमता का विकास होता है 
  6. छात्रों में अवलोकन का कौशल विकसित होता है यह सही एवं पर्याप्त होना चाहिए 
  7. यह प्रणाली पूर्णता मनोवैज्ञानिक है 
  8. यह विधि विषयों को बोधगम्य तथा सरल बना देती है 
  9. इसमें अध्यापक विभिन्न उपयोगी शिक्षण सूत्रों का प्रयोग करता है 
  10. इस प्रणाली में छात्र समस्त कार्य कक्षा में ही करता है ऐसी दशा में गृह कार्य की समस्या नहीं उठती 
  11. विद्यार्थियों में सही प्रकार से आलोचना करने की क्षमता विकसित होती है 
  12. अध्यापक को विद्यार्थियों के गुण अवगुण को जानने का अवसर मिलता है 

दोष

  1. यह विधि केवल ऐसी कक्षाओं के लिए ही उपयोगी है जिनमें छात्रों की संख्या कम हो 
  2. अध्यापक के सम्मुख इस विधि द्वारा अनेक कठिनाइयां प्रस्तुत होती हैं 
  3. सब विद्यार्थियों के लिए सामग्री जुटाना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है 
  4. इस विधि में खोज कम तथा समय की बर्बादी अधिक होती है 
  5. वर्तमान पाठ्यक्रमों को निर्धारित समय में इस विधि से पूरा नहीं किया जा सकता 
  6. कक्षा में सब विद्यार्थी समान क्षमता के नहीं होते अतः इस विधि का प्रयोग वर्तमान कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए संभव नहीं 
  7. यह प्रणाली केवल उन विद्यालयों में ही प्रयोग की जा सकती है जहां छात्रों की संख्या कम है 
  8. यह विधि प्रयोग आधारित होने के कारण अधिक उपकरण एवं सुविधाएं चाहती है इसीलिए महंगी है






प्रयोजना विधि/प्रोजेक्ट विधि


सभी विषयों में प्रोजेक्ट विधि एक विशेष स्थान रखती है प्रोजेक्ट विधि शिक्षा को वह प्रविधि देती है जो स्वतंत्र समाज में नैतिक तौर पर न्यायोचित है तथा तकनीकी ढंग से आधुनिक अधिगम सिद्धांतों पर आधारित है प्रोजेक्ट पूर्णतया हृदय से जुड़ी हुई अर्थपूर्ण क्रिया है जो सामाजिक वातावरण में प्रगति पर है प्रोजेक्ट विधि में अप्रत्यक्ष रूप से क्रिया द्वारा ज्ञान, कौशल, आदर्श आदि अर्जित होते हैं

शिक्षक कक्षा में भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रयोग कर सकता है और उनके परिणामों के आधार पर अपनी शिक्षा कला में सुधार कर सकता है किस प्रकार शिक्षक अपनी कक्षा में अनुसंधान कर सकता है और ज्ञान की वृद्धि कर सकता है एक जिज्ञासु शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य में नाना प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है यदि शिक्षक इन समस्याओं का हल प्रयोग द्वारा कर सके तो पद्धति को प्रयोग प्रयोजना कहा जाता है इस प्रकार प्रयोग करने में शिक्षक पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं और जिस समस्या को सम्मुख रखकर प्रयोग करता है वह स्वयं उसकी अपनी कठिनाई होती है इस कार्य में शिक्षक क्रियाशील रहता है

प्रोजेक्ट विधि के पद


  • प्रस्तावना 
  • शीर्षक 
  • समस्या की व्याख्या 
  • परिकल्पना 
  • सामग्री 
  • विधि 
  • आंकड़े एकत्रित करना 
  • परिणाम मूल्यांकन 
  • परिणामों का नवीन परिस्थितियों में उपयोग 
  • पाठ्य सामग्री की सूची 


गुण

  1. छात्रों को प्रोजेक्ट चयन करने में स्वतंत्रता है और वह अपनी आवश्यकता एवं रुचि अनुसार कार्य करते हैं 
  2. छात्र स्वयं के उत्तरदायित्व पर कार्य को संगठित करते हैं 
  3. अधिक वास्तविकता एवं समाज परिपेक्ष में कार्य करते हैं 
  4. छात्र प्राकृतिक वातावरण में कार्य करने का अवसर पाते हैं 
  5. इस विधि में छात्र अर्थपूर्ण कार्य में पूर्ण संलग्नता से कार्य करते हैं 
  6. इस क्रियाविधि में छात्र स्वयं अपना कार्य नियोजित करते हैं क्रियान्वित करते हैं और उसका मूल्यांकन करते हैं 
  7. इस विधि में छात्र निश्चित उद्देश्य के लिए कार्यरत हो जाते हैं रहते हैं 

दोष

  1. इस विधि द्वारा निश्चित समय में पाठ्यवस्तु को पूरा करना कठिन है 
  2. इस विधि में उपकरण एवं सामग्री की आवश्यकता होती है इसीलिए यह खर्चीली है 
  3. इस विधि में समय अधिक लगता है 
  4. सभी विषयों को इस विधि से पढ़ाना कठिन है 
  5. कक्षा में सभी छात्र बौद्धिक रूप से इतने निपुण नहीं होते कि वह स्वयं अपना प्रोजेक्ट पूरा कर सकें