मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ परिभाषा विशेषताएं कारक

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ





मानसिक स्वास्थ्य से अभिप्राय संवेगात्मक  स्थिरताएँ हैं एक प्रसिद्ध का मत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है मानव शरीर में मस्तिष्क का महत्वपूर्ण स्थान है व्यक्ति के द्वारा जो भी काम किए जाते हैं वे मस्तिष्क के संकेत पर अथवा मन के अनुसार किए जाते हैं जब मन स्वस्थ नहीं होता तो हम किसी भी कार्य को ठीक से नहीं कर पाते मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति संवेगात्मक रूप से अस्थिर होता है मानसिक स्वास्थ्य एक तरह का समायोजी व्यवहार है जो व्यक्ति को जीवन के सभी प्रमुख क्षेत्रों में सफलतापूर्वक समायोजन करने की क्षमता प्रदान करता है





मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषाएँ 


लैडेल के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य वास्तविक जीवन में पर्यावरण से पर्याप्त समायोजन स्थापित करने की योग्यता है"

फ्रैंडसेन के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य एवं अधिगम की सफलता में अत्यंत घनिष्ठ संबंध है"

हैडफील्ड के अनुसार, "सामान्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य संपूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण लयबद्ध कार्य करना है"

कुप्पूस्वामी के अनुसार, "मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है व्यक्ति के दैनिक जीवन में भावनाओं इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं और आदर्शों में एक संतुलन स्थापित करने की योग्यता अर्थात जीवन की वास्तविकता का सामना करने में स्वीकार करने की योग्यता"







मानसिक स्वास्थ्य की विशेषताएं



  1.  नियमित जीवन- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के दैनिक जीवन के प्रत्येक कार्य एक निश्चित समय पर तथा स्वाभाविक ढंग से होते हैं वे नियमित जीवन जीते हैं अर्थात उनके रहने, पीने, खाने, सोने आदि आदतें  एक सामान्य व्यक्ति की तरह होती हैं यह अपने शरीर के स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखते हैं इनका शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है 
  2. सामंजस्य की योग्यता-  मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सामाजिक जीवन की परिस्थितियों में शीघ्र समायोजन स्थापित कर लेता है वह दूसरों के विचारों एवं समस्याओं को ठीक प्रकार से समझ कर उनसे अच्छा व्यवहार करता है  
  3. संवेगात्मक परिपक्वता- ऐसे व्यक्ति व्यवहार में बौद्धिक एवं संवेगात्मक परिपक्वता दिखाई देती है इसका अर्थ है कि स्वस्थ व्यक्ति में भय, क्रोध, प्रेम, घृणा, ईर्ष्या आदि संवेगओं को नियंत्रण में रखने और उचित ढंग से प्रकट करने की योग्यता होती है अपने संवेग पर नियंत्रण रखने की क्षमता के कारण उन्हें किसी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होती वे सभी कार्यों को प्रसन्नता पूर्वक एवं सरलता पूर्वक संपन्न करता है 
  4. आत्मविश्वास- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में आत्मविश्वास की भावना होती है वह अपना समस्त कार्य पूर्ण आत्मविश्वास के साथ करता है और उसे सफल बनाता है 
  5. आत्म मूल्यांकन की क्षमता- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने गुण एवं दोषों को जानता है वह अपने द्वारा किए गए उचित अनुचित कार्यों का निष्पक्ष रुप से विश्लेषण कर सकता है तथा अपने दोस्तों को सहज रूप में स्वीकार कर लेता है और अपने व्यवहार में परिवर्तन करने की कोशिश करता है सहनशीलता एवं संतुलन मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को जीवन की निराशा, विपरीत परिस्थितियों आदि का सामना करने में कष्ट का अनुभव नहीं होता वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखता है और अत्यंत धैर्य एवं सहनशीलता के साथ उनका सामना करते हैं 
  6. कार्य क्षमता एवं कार्य में संतोष- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्य को अत्यंत रूचि पूर्वक एवं ध्यान पूर्वक करता है उसे कार्य को संपन्न करने में आनंद और संतुष्टि प्राप्त होता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है







मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक



  1.  शारीरिक स्वास्थ्य- मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सबसे मुख्य कारण यही है शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे को प्रभावित करते हैं शारीरिक रूप से कमजोर और बीमार बालक की अपेक्षा स्वस्थ बालक मानसिक रूप से काफी उन्नत होते हैं 
  2. अनुवांशिकता- अनुवांशिकता के दोष युक्त होने पर बालक में विभिन्न प्रकार के मानसिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं पैतृक द्वारा संक्रमित गुणों के आधार पर ही किसी बालक में विभिन्न मानसिक शारीरिक योग्यताएं निर्धारित होते हैं दोषपूर्ण अनुवांशिकता के कारण बालक में मानसिक दुर्बलता संबंधी रोग हो सकते हैं 
  3. पारिवारिक वातावरण- मानसिक स्वास्थ्य पर पारिवारिक वातावरण का भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है परिवार में सदस्यों के बीच मनमुटाव का बालकों के मस्तिष्क पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है जिन परिवारों में माता-पिता का व्यवहार बालक के प्रति अच्छा नहीं होता वहां बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं परिवार के कठोर अनुशासन और नियंत्रण के परिणाम स्वरूप बालक सामान्य जीवन से अलग असामान्य जीवन जीने लगते हैं बालक के साथ बहुत  कठोरता उसे रोग ग्रस्त बना देती है जिससे उसका व्यवहार असंतुलित हो जाता है 
  4. विद्यालय वातावरण- बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर विद्यालय के वातावरण का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है बालक एक ऐसे विद्यालय में पढ़ता है जहां का वातावरण बहुत सख्त और अनुशासन पर आवश्यकता से अधिक बल देता है तथा यहां के अध्यापक का विद्यार्थियों के प्रति निर्मम व्यवहार होता है वहां विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता उनमें स्कूल से डर उत्पन्न हो जाता है 
  5. मनोवैज्ञानिक कारक- मनोवैज्ञानिक कारकों में आत्म मूल्य सबसे महत्वपूर्ण है इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि बालक अपने प्रत्यक्षीकरण व दृष्टिकोण को कैसे लेता है? सफलता-असफलता के प्रति वह कैसा सोचता है? इन सभी बातों के अतिरिक्त एक मुख्य बात जो बालक को हर समय प्रभावित करती है वह- दूसरों मेरे बारे में क्या सोचते हैं? अध्यापकों, अभिभावकों व मित्रों की भावना भी उसके समायोजन को किसी सीमा तक प्रभावित करती है यदि इन लोगों से उसे स्नेह मिलता है तो उसे जीने में संतोष मिलता है 
  6. आर्थिक कारक- माता पिता की कमजोर आर्थिक स्थिति से बालक के आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती वह अपने को असुरक्षित महसूस करने लगता है उसमें कुंठा और असंतोष उत्पन्न हो जाते हैं और बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है