टेलीकांफ्रेंसिंग, प्रकार, महत्त्व, सीमाएं
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टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का अर्थ
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग एक प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जिसे हिंदी में 'दूर संवाद प्रणाली' के नाम से भी जाना जाता है इस प्रणाली में अलग-अलग दूर स्थानों पर बैठे हुए दो या दो से अधिक व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से एक दूसरे से बात कर सकते हैं या चर्चा कर सकते हैं अर्थात सामूहिक संप्रेषण, संवाद, संभाषण और अंत: क्रियाएं कर सकते हैं ठीक उसी प्रकार जैसे दो व्यक्ति आमने सामने बैठ कर सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के प्रकार
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग तीन प्रकार की होती है
- श्रव्य टेलीकॉन्फ्रेंसिंग (Audio Conferencing)
- दृश्य टेलीकॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing)
- कंप्यूटर टेलीकॉन्फ्रेंसिंग (Computer Conferencing)
1.ऑडियो टेलीकॉन्फ्रेंसिंग- यह टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का सबसे सरल एवं प्रचलित रूप है इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने हेतु टेलीफोन का प्रयोग किया जाता है श्रव्य टेलीकॉन्फ्रेंसिंग में कई टेलीफोन की लाइनों की आवश्यकता होती है या पारस्परिक संबंधित युक्तियों की आवश्यकता पड़ती है प्रत्येक व्यक्तियों को प्रत्येक संपर्क द्वारा जोड़ना सामान्य अभ्यास माना जाता है संपर्क के साथ प्रयोग में लाए गए श्रव्य उपकरण साधारण प्रकार के होते हैं जैसे- हाथ के सेट, शीर्ष सेट, स्पीकर फोन, रेडियो टेलीफोन आदि
2.वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंसिंग- यह ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अधिक लाभदायक एवं प्रभावशाली होती है इसमें दूर बैठे व्यक्ति आपसी संवाद स्थापित करते हुए ना केवल एक दूसरे की आवाज सुन सकते हैं बल्कि वह एक दूसरे को स्क्रीन पर देख भी सकते हैं इस टेली कॉन्फ्रेंसिंग से ऐसा महसूस होता है कि जैसे- दो व्यक्ति आमने सामने ही बैठे हो
3.कंप्यूटर टेलीकॉन्फ्रेंसिंग- यह टेली कॉन्फ्रेंसिंग का उपरोक्त दोनों रूपों वीडियो, ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहुत अधिक उन्नत एवं प्रभावशाली प्रणाली है इसमें कॉन्फ्रेंसिंग हेतु कंप्यूटर द्वारा प्रदत्त माध्यमिक सेवाओं का उपयोग किया जाता है इसमें हम इंटरनेट सेवाओं द्वारा लिखित सामग्री, चित्रों आदि को कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेने वाले व्यक्तियों को प्रेषित कर सकते हैं जिन्हें वे अपने कंप्यूटर पर बैठे-बैठे ग्रहण कर सकते हैं इस कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेने वाले इच्छुक व्यक्ति दृश्य श्रव्य सामग्री का भी इस्तेमाल कॉन्फ्रेंसिंग के बीच में कर सकते हैं इसमें कॉन्फ्रेंसिंग के साथ-साथ कई और कार्य भी आसानी से किए जा सकते हैं
आधुनिक शिक्षा में टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का महत्व
- इस प्रणाली को जल्दी से छोटे-बड़े समूहों के रूप में व्यवस्थित किया जा सकता है
- यह अधिक लचीली प्रणाली है अनुदेशन सामग्री के स्तर को सुधारा जा सकता है या स्थिर रखा जा सकता है
- टेलीकॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली के द्वारा छात्रों को तुरंत पृष्ठपोषण प्रदान किया जा सकता है
- अनुदेशन या कार्यक्रम के आयाम को विभिन्न केंद्रों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है
- दूरवर्ती अधिगमकर्ताओं के लिए अन्य विधियों से यह विधि कम खर्चीली होती है
- इससे पारस्परिक ढंग से ना उपलब्ध होने वाले छात्रों के लिए भी समय सारणी व्यवस्थित की जा सकती है
- टेलीकॉन्फ्रेंसिंग से छात्रों की रूचि, कल्पना, जिज्ञासा तथा आंतरिक प्रेरणा में वृद्धि होती है जिससे वह अधिक सीखते हैं
- इसके माध्यम से छात्र विशेषज्ञ शिक्षकों के संपर्क में रहकर लाभान्वित हो सकते हैं
- टेलीकॉन्फ्रेंसिंग छात्रों को ऐसे अवसर प्रदान करती है जिसमें वे बिना किसी भेदभाव या ऊंचे नीचे स्तर का ध्यान दिए बिना स्वतंत्रता से पूर्व संवाद या संभाषण में भाग ले सकें
- टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का प्रयोग औपचारिक, अनौपचारिक तथा निरौपचारिक सभी क्षेत्रों में प्रभावशाली ढंग से किया जाता है
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग की सीमाएं
- यह एक महंगी प्रणाली है इसके उपकरण अत्यधिक महंगे होते हैं
- टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के इस्तेमाल के लिए विशिष्ट ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इसका प्रयोग करना आसान नहीं होता
- सभी विद्यालयों में इसे उपलब्ध करवा पाना बहुत कठिन है
- सभी सुदूर स्थानों पर अच्छा नेटवर्क ना मौजूद होने के कारण इसका इस्तेमाल करना आसान नहीं है
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