वैयक्तिक विभिन्नता का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, कारण

 वैयक्तिक विभिन्नता का अर्थ






वैयक्तिक विभिन्नता का अर्थ है दो व्यक्तियों में परस्पर अंतर प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी गुण आकार अथवा प्रकृति में दूसरे व्यक्तियों से भिन्न होता है सभी जैविक तथा अजैविक दोनों रूप में इतनी विभिन्नता तथा समानता है जिसकी कोई सीमा नहीं है केवल व्यक्तियों मैं ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं में भी बहुत अधिक विभिन्नता पाई जाती है जैसे कुछ जलचर है कुछ धरती पर रहते हैं कुछ आकाश में उड़ते हैं इन सभी के गुणों में विभिन्नता पाई जाती है जब हम अपना ध्यान गंभीरता से मनुष्यों की के ऊपर केंद्रित करते हैं तो बहुत तरह के फूलों आयामों में भिन्नता दिखाई देती है जैसे शारीरिक भिन्नता बौद्धिक भी नेता संवेगात्मक भिन्नता व्यक्तित्व भिन्नता सर्जनात्मक भिन्नता समायोजन भिन्नता रुचि में भिन्नता व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ है वह बताएं जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग करती हैं









वैयक्तिक भिन्नता की परिभाषाएं


वुडवर्थ के अनुसार, "समस्त मनोवैज्ञानिक लक्षणों शारीरिक मानसिक योग्यताओं, ज्ञान, आदत, व्यक्तित्व और चारित्रिक गुणों में व्यक्ति विभेद पाए जाते हैं"

स्किनर के अनुसार, "संपूर्ण व्यक्तित्व के किसी मापन योग्य पहलू को सम्मिलित करने वाले व्यक्ति विभिन्न या विभिन्नताएँ दिखाई पड़ती हैं"

टायलर के अनुसार, "शरीर के आकार, रूप, कार्य गति की क्षमताओं, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, रुचि एवं अभिवृत्ति तथा व्यक्तिगत लक्षणों में पाई जाने वाली माननीय भिन्नता व्यक्तिगत भेद को दर्शाती हैं"






वैयक्तिक भिन्नता के प्रकार


वैयक्तिक भेद के प्रकार निम्न क्षेत्र में दिखाई देते हैं


1.शारीरिक विकास में भिन्नता 


शारीरिक विकास के क्षेत्र में रूप रंग, शारीरिक गठन, कद, योन भेद एवं शारीरिक परिपक्वता आते हैं कुछ व्यक्ति दुर्बल और कुछ व्यक्ति मोटे होते हैं कुछ नाटे होते हैं कुछ लंबे होते हैं कुछ सुंदर होते हैं विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की मान्यता है कि इन सब का प्रभाव योग्यता बुद्धि, स्वभाव, प्रवृत्ति, रुचि पर पड़ता है

2.मानसिक भिन्नता 



मानसिक भिन्नता में जो रूप दिखाई देते हैं उनका उल्लेख निम्न है

बौद्धिक विकास संबंधी भिन्नता- बौद्धिक विभिन्नता विभिन्न रूपों में दिखाई देती है क्योंकि कोई प्रतिभाशाली होता है कोई अत्यधिक बुद्धिमान, कोई कम बुद्धिमान और कोई साधारण और कोई मंद बुद्धि वाला होता है इस योग्यता की जांच विभिन्न बुद्धि परीक्षणों के द्वारा किया जा सकता है

मूल प्रवृत्ति संबंधी विभिन्नता- मूल प्रवृत्तियों के संबंध में भी व्यक्तिगत विभिन्नता दिखाई देती है कुछ व्यक्ति उदार हृदय के,  कुछ कठोर के, कुछ हंसमुख, कुछ सदैव उदास सूरत वाले होते हैं इसी तरह किसी व्यक्ति में संग्रह प्रवृत्ति प्रबल होता है किसी में जिज्ञासा की प्रवृत्ति प्रबल होती हैं जिज्ञासु व्यक्ति सदैव नई बातों को सीखने एवं जानने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं

सीखने में विभिन्नता- सीखने में भी विभिन्नता पाई जाती है शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का अर्थ है कि विद्यार्थी के पढ़ने-लिखने और विभिन्न विषयों में पाया जाने वाला अंतर जिसके फलस्वरूप उनकी उपलब्धि में अंतर देखा जा सकता है उपलब्धि परीक्षणों के द्वारा ही ज्ञात किया जा सकता है कि विभिन्न बालकों में सीखने की क्षमता में विभिन्नता पाई जाती है छात्रों में सीखने की क्षमता में अंतर होने के फलस्वरूप अध्यापकों को विभिन्न प्रकार की वैयक्तिक और कक्षा शिक्षण विधियों को अपनाना पड़ता है

रुचि संबंधी विभिन्नता- कुछ विद्यार्थी पढ़ने में और कुछ खेलने में तेज होते हैं बालक और वयस्कों की रुचि में, बालक और बालिकाओं की रुचि में, जवान एवं वृद्ध की रुचि में, स्त्री और पुरुष के रुचि में, अंतर होता है

स्वभावगत विभिन्नता- वैयक्तिक विभिन्नता का एक प्रकार स्वभावगत विभिन्नता भी है कुछ व्यक्ति उग्र और उद्दंड होते हैं और कुछ व्यक्ति विनम्र एवं सुशील होते हैं बालकों एवं बालिकाओं के स्वभाव में भी अंतर होता है

3.व्यक्तित्व संबंधी भिन्नता


वैयक्तिक भिन्नता का ज्ञान प्राप्त करने हेतु व्यक्तित्व संबंधी भिन्नता का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है कुछ व्यक्ति अंतर्मुखी होते हैं और कुछ व्यक्ति  बहिर्मुखी होते हैं अंतर्मुखी व्यक्ति अधिक बोलना पसंद नहीं करते जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति दूसरों से मिलना-जुलना और अधिक  बातें करना पसंद करते हैं






वैयक्तिक  विभिन्नता के कारण


वंशानुक्रम या अनुवांशिकता- वैयक्तिक विभिन्नता का प्रमुख कारण अनुवांशिकता है कई मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया है कि व्यक्तियों की शारीरिक मानसिक तथा चारित्रिक विशेषताओं का प्रमुख कारण अनुवांशिकता ही है पैतृक गुणों का संक्रमण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है और इसी कारण व्यक्ति-व्यक्ति में विभिन्नता पाई जाती है जैसे- प्रखर बुद्धि वाले माता-पिता की संताने प्रखर बुद्धि और मंदबुद्धि वाले माता-पिता की संताने मंदबुद्धि की होती हैं इसी प्रकार स्वस्थ एवं निरोगी माता-पिता की संताने स्वस्थ और निरोगी तथा रोगी एवं दुर्बल माता-पिता की संताने रोगी एवं दुर्बल होती हैं एक ही प्रकार के दो बालकों में भी एकदम समानता होना असंभव है एक ही माता पिता की संतानों में विभिन्नता पाई जाती है वह मानसिक शक्तियों, स्वभाव और गुणों में एक-दूसरे से कुछ ना कुछ भिन्न अवश्य होते हैं यह वंशानुक्रम के कारण होता है

वातावरण- सभी मनोवैज्ञानिक एवं शिक्षा शास्त्री इस बात से सहमत हैं कि वैयक्तिक विभिन्नताएँ मूलभूत सामग्री वंशानुक्रम से प्राप्त होती है परंतु उनका यह भी विचार है कि कुछ व्यक्तिगत विभिन्ताएँ जो वातावरण के फलस्वरूप होती हैं उनमें सुधार संभव है वातावरण भी वैयक्तिक विभिन्नता का एक कारण है वातावरण से तात्पर्य भौतिक, सामाजिक, संस्कृति एवं शैक्षिक परिस्थितियों से है जिसमें बालक जन्म लेता है और बड़ा होता है व्यक्ति के व्यक्तित्व के कुछ लक्षण का विकास इस वातावरण पर ही निर्भर होता है कृतियों अभिवृत्तिओं, आदर्शों एवं मूल्यों का विकास वातावरण के प्रभाव के कारण ही होता है प्राय: देखा गया है कि परिवार की स्थिति व्यवसाय आदि का प्रभाव बालक पर काफी अधिक पड़ता है

आयु एवं बुद्धि- विद्यार्थी में समस्त व्यवहारों की उत्पत्ति उसकी आयु की वृद्धि के परिणाम स्वरूप होती है मानसिक क्षमता में वृद्धि भी इसी का परिणाम है आयु के साथ-साथ बालक का शारीरिक मानसिक और संवेगात्मक विकास होता है इसीलिए विभिन्न आयु के बालकों में अंतर पाया जाता है जिन बालकों में औसत से कम बुद्धि का विकास होता है उनमें भाषा का ज्ञानात्मक विकास भी विलंबता से ही हो पाता है

परिपक्वता- परिपक्वता का संबंध सामान्यता व्यक्ति की आयु से होता है परिपक्वता समय के साथ-साथ प्रतिवर्ष बालक की शारीरिक तथा मानसिक सामर्थ्य, योग्यता, रुचियां तथा प्रवृत्तियों में अभिवृद्धि को कहते हैं कुछ बालकों में मानसिक तथा शारीरिक विकास तीव्र गति से होता है उनमें परिपक्वता शीघ्र आती है बालकों की शिक्षा का परिपक्वता से घनिष्ठ संबंध है परिपक्वता किसी बालक में देर से आती है और किसी में शीघ्र आती है अतः वैयक्तिक  भिन्नता का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं

प्रजाति एवं राष्ट्र- जाति और राष्ट्र प्रभाव से भी लोगों में व्यक्तिगत विभिन्नता आ जाती है व्यक्ति जिस जाति राष्ट्र व वर्ग का सदस्य होता है उसकी विशेषताएं उसमें अवश्य होती हैं एक जाति अथवा वर्ग तथा देश के लोग दूसरी जाति वर्ग अथवा देश के लोगों से भिन्न होते हैं जैसे- अफ्रीका तथा अमेरिका और यूरोप के विभिन्न राष्ट्रों तथा जातियों के लोगों में शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक विभिन्ताएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देखी जा सकती हैं

शारीरिक स्वास्थ्य- शारीरिक स्वास्थ्य सभी प्रकार के विकास की आधारशिला है जो बालक शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ होते हैं उनके समस्त विकास जैसे शारीरिक, मानसिक, वाचिक, भाषिक, संवेगात्मक विकास, तीव्र गति से होते हैं इसके विपरीत अस्वस्थ एवं रोगी बालकों में यह विकास विलंब गति से होते हैं वैयक्तिक विभिन्नता जन्म लेती हैं

लिंगभेद- लिंगभेद पर किए गए अध्ययन प्रमाणित करते हैं लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की हस्तलिपि सुंदर होती है लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास लड़कों की अपेक्षा जल्दी होता है लड़कों और लड़कियों में अलग-अलग संवेगों की तीव्रता होती है

संवेगों का प्रभाव- संवेगों में भिन्नता के फलस्वरूप भी वैयक्तिक विभिन्नता दिखाई देती है विभिन्न संवेगों के फलस्वरुप कोई व्यक्ति अधिक लड़ाकू और कठोर दिखाई देता है जबकि दूसरा हंसमुख, शांतिप्रिय, दयालु होता है इस तरह व्यक्तिगत विभिन्नता पर संवेगात्मक तत्वों का भी प्रभाव होता है

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