व्यक्तित्व का अर्थ परिभाषा विशेषताएं मापन

 व्यक्तित्व का अर्थ






 व्यक्तित्व अंग्रेजी भाषा के शब्द पर्सनालिटी (personality) का हिंदी रूपांतरण है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द परसोना (persona) से हुई है परसोना (persona) का अर्थ है मुखौटा जिसे पहनकर यूनानी लोग मंच पर अभिनय करते थे मुखौटा लगाने का तात्पर्य होता है कि दूसरे लोग व्यक्ति का वास्तविक चेहरा ना देख सके वह उसे मुखोटे वाले रूप में जाने धीरे-धीरे परसोना शब्द का अर्थ बदलता गया और चौदहवीं शताब्दी में यह पर्सनालिटी के रूप में परिवर्तित हो गया व्यक्तित्व का अर्थ होता है बाह्य वेशभूषा जिसे धारण कर अभिनेता अपने विशिष्ट व्यवहार को व्यक्त करता है








 व्यक्तित्व की परिभाषाएं


जेम्स ड्रेवर के अनुसार, "व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक गुणों के संगठित एवं गत्यात्मक संगठन के लिए किया जाता है इसे वह अन्य व्यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में व्यक्त करता है"

वाटसन के अनुसार, "विश्वसनीय सूचना प्राप्त करने के दृष्टिकोण से काफी लंबे समय तक वास्तविक निरीक्षण या अवलोकन करने के पश्चात व्यक्ति में क्रियाएं अथवा व्यवहार का जो भी रूप पाया जाता है उसे व्यक्तित्व कहा जाता है"

गिलफोर्ड के अनुसार, "व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है"

वैलेंटाइन के अनुसार, "यह जन्मजात एवं अर्जित प्रवृत्तियों का योग है"






व्यक्तित्व के तत्व एवं विशेषताएं


1.आत्म चेतना- व्यक्तित्व की क्रियाशीलता का आधार चेतना है इस गुण के फलस्वरूप ही उनमें भाव, सफलता, असफलता, आत्मबोध आदि होता है व्यक्ति के व्यक्तित्व का यह प्रमुख गुण है वह जानना चाहता है कि दूसरे लोग उस से किस सीमा तक समान और किसी सीमा तक भिन्न हैं

2.सामाजिकता- व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास समाज में होता है समाज की विभिन्न परिस्थितियों के प्रति व व्यवहार करता है समाज के विभिन्न व्यक्तियों के प्रति किए गए व्यवहारों में विभिन्नता होती है सामाजिक व्यवहार को देखकर ही उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है

3.सामंजस्य- प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज और पर्यावरण से अनुकूलन स्थापित करना चाहता है व्यक्ति के समुचित विकास हेतु पर्यावरण से सामंजस अवश्यक है सामंजस्य के फल स्वरुप ही उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है

4.संकल्प शक्ति- व्यक्ति में संकल्प शक्ति उसके व्यक्तित्व पर बहुत अधिक प्रभाव डालती है व्यक्ति को वातावरण में अपने समायोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है यदि ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति की संकल्प शक्ति दुर्बल है तो उसके व्यवहार में निर्बलता प्रकट होगी

5.शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य- व्यक्ति के व्यक्तित्व पर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है शारीरिक स्वास्थ्य के अंतर्गत उसकी लंबाई भार चेहरा आवाज वेशभूषा आदि सम्मिलित हैं मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत बुद्धि तर्कशक्ति निर्णय लेने की शक्ति कल्पना ध्यान आदि आते हैं सभी शारीरिक मानसिक गुण व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं

6.विकास की निरंतरता- व्यक्तित्व स्थिर नहीं रहता है और विकास में भी स्थिरता नहीं होती उसके कार्यों परिस्थितियों अनुभवों के आधार पर परिवर्तन होता रहता है






 व्यक्तित्व का मापन


व्यक्तित्व के मापन की कई विधियां हैं जिनमें से कुछ कि हम नीचे चर्चा करेंगे

 अवलोकन विधि


मनोवैज्ञानिक थार्नडाइक और जर्सिल्ड प्रारंभ में इस विधि का प्रयोग किया था

वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करने की यह सबसे प्रचलित विधि है इस विधि में दो चरण होते हैं

प्रथम चरण- अवलोकन कर्ता यह निश्चित करता है कि उसे व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का वर्णन करना है

दूसरा चरण- अवलोकन करता चयनित विशेषताओं  का अवलोकन प्रयोज्य की वास्तविक जीवन की परिस्थितियों का अवलोकन करके करता है

अवलोकन दो प्रकार से किया जा सकता है

बिना छिपे- इस प्रकार में अवलोकन करता स्वयं ना छिपकर वह प्रयोज्य के सामने रहता है कभी-कभी अवलोकन करता प्रयोज्य के समूह का सदस्य भी बन जाता है उदाहरण के लिए किसी जनजातीय समूह का अध्ययन करने के लिए अवलोकन कर्ता उनके इस समूह में सम्मिलित हो जाता है

बिना सामने आए- दूसरे प्रकार में अवलोकन कर्ता सामने नहीं आता वह ऐसे स्थान पर चुप कर अवलोकन करता है की प्रयोज्य को उसकी उपस्थिति का कोई आभास ना हो वह दूर से ही प्रयोज्य की गतिविधियों पर नजर रखता है इसमें अवलोकन कर्ता कई तरह के उपकरणों जैसे दूरबीन कैमरा रिकॉर्डर आदि उपकरणों का प्रयोग करते हैं

अवलोकन विधि के गुण



  1. यह विधि बहुत कम खर्चीली है 
  2. इसमें अवलोकन कर्ता खुद ही प्रयोज्य के गुणों तथा विशेषताओं एवं अवगुणों का अवलोकन करता है 
  3. छोटे बच्चों के व्यक्तित्व का मापन करने के लिए या विधि अधिक उपयुक्त है 
  4. इस विधि द्वारा आवश्यकता पड़ने पर तथ्यों को उपकरणों की सहायता से प्रमाणित भी किया जा सकता है 

अवलोकन विधि की सीमाएं



  1. इस विधि  का सबसे बड़ा अवगुण यह है कि यदि अवलोकन करता एक से अधिक है तो अवलोकन के परिणाम भिन्न भिन्न हो सकते हैं 
  2. इस विधि से सीमित व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषता और गुणों का पता चलता है 
  3. इस विधि में अवलोकन कर्ता कुछ भी सोचने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होता है इसलिए वह घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से देखता है और अपनी समझ के अनुसार ही परिणाम देता है