जनसंख्या शिक्षा अर्थ, परिभाषा, उद्देश, आवश्यकता

 जनसंख्या शिक्षा का अर्थ (Meaning of population education)




UPI ID:- achalup41-1@oksbi

बीसवीं शताब्दी के छठे दशक में लोगों का ध्यान तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभाव की ओर गया तथा यह अनुभव किया जाने लगा की जनसंख्या वृद्धि के दूरगामी प्रभावों की ओर जनमानस का ध्यान आकर्षित करने की परम आवश्यकता है जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से छात्र-छात्राओं में जनसंख्या वृद्धि की समस्या के प्रति चेतना को जागृत करने का प्रयास किया जाता है जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक प्रयास है जिसका स्वरूप अत्यंत व्यापक है जनसंख्या शिक्षा के अंतर्गत मानव जनसंख्या का अध्ययन किया जाता है जिससे पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव डालने हैं बिना मानव जीवन में गुणात्मक सुधार लाया जा सके जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य देश में भावी नागरिक में छोटे परिवार के प्रति आस्था जागृत करना है जिससे वे समझ सके कि सीमित परिवार ही उनकी व्यक्तिगत तथा समाज की सुख-समृद्धि का मूल है जनसंख्या शिक्षा के अंतर्गत छात्र जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति, जनसंख्या की विशेषताएं, जनसंख्या वृद्धि के कारण के साथ-साथ समस्त विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव का ज्ञान प्राप्त करते हैं








जनसंख्या शिक्षा की परिभाषाएं (Definitions of population education)


मनियलिस के शब्दों में– जनसंख्या शिक्षा को मानव जनसंख्या की प्रवृत्ति एवं जनसंख्या परिवर्तन के प्राकृतिक एवं मानवीय प्रभावों को जाने की अध्ययन विधियों का विश्वसनीय ज्ञान या सीखने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है

के.एस. राव के अनुसार– जनसंख्या शिक्षा को विस्तृत रूप में एक ऐसी शिक्षा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका लक्ष्य समानता तथा आर्थिक न्याय की सामाजिक व्यवस्था को बनाने के लिए जनसंख्या जागृति प्रदान करना है तथा जो उन दृष्टिकोण के आंतीकरण तथा विश्वासों पर बल देने की प्रक्रिया के द्वारा संपादित होती है जिन्हें व्यक्ति नियंत्रित कर सकता है तथा स्वयं अपने लिए, अपने परिवार के लिए तथा अपने राष्ट्र के लिए कार्यप्रणाली निश्चित कर सकता है

जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of population education)


  1. छात्र-छात्राओं में देश की जनसंख्या नीति तथा जनसंख्या नियंत्रण संबंधी विभिन्न योजनाओं की जानकारी देना 
  2. छात्र-छात्राओं में जनसंख्या वृद्धि की प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की योग्यता विकसित करना 
  3. छात्र-छात्राओं को परिवार के आकार तथा जीवन स्तर के बीच के संबंध को समझने की योग्यता विकसित करना 
  4. छात्र-छात्राओं में छोटे परिवार की वांछनीयता के विचार को सुदृढ़ करना जिससे वे भविष्य में छोटे परिवार के मानक को अपनाने का प्रयास कर सके 
  5. व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र तथा विश्व के आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक तथा राजनैतिक जीवन पर जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप पड़ने वाले प्रभावों से छात्र-छात्राओं को परिचित कराना 
  6. पर्यावरण पर जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों से छात्र-छात्राओं को अवगत कराना 
  7. छात्र-छात्राओं को जनसंख्या वृद्धि की प्रक्रिया व उसके कारणों का ज्ञान प्रदान करना।






जनसंख्या शिक्षा की आवश्यकता व महत्व (Need and importance of population education)


  1. अपने प्रजनन व्यवहार के बारे में उत्तरदायित्व पूर्ण ढंग से निर्णय लेना 
  2. मानव जाति के अस्तित्व को सुनिश्चित करना 
  3. आधुनिक जीवन में निराशा से बचना 
  4. आवास, जल वितरण, स्वच्छता तथा खनिज संसाधनों की कमी से बचना 
  5. राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करना 
  6. सभी बच्चों को अनिवार्य निशुल्क शिक्षा प्रदान करना उन्नत मानव जीवन को सुनिश्चित करना 
  7. आधुनिक सामाजिक की जटिल हो रही समस्याओं का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए युवकों व युवतियों को तैयार करना।

जनसंख्या शिक्षा की समस्याएं (Problems of population education)


जनसंख्या शिक्षा की समस्या निम्नलिखित है

1.जनसंख्या शिक्षा की प्रत्यय से संबंधित भ्रांतियां– जनसंख्या शिक्षा परिवार नियोजन की समानार्थक नहीं है और न यह यौन शिक्षा ही है यह जन्म निरोध की शिक्षा भी नहीं है कुछ लोग इसे यौन शिक्षा व परिवार नियोजन की शिक्षा मानते हैं न कि जनसंख्या की गति विज्ञान की शिक्षा इस कारण वे इस विशेष शिक्षा को अनुपयोगी व अनावश्यक मानते हैं व विद्यालय शिक्षा से संबंधित रखने पर बल देते हैं

2. छोटे परिवार के बारे में उपयुक्त अभिवृत्तियों कमी– अनेक लोग बड़े परिवार को उपयोगी मानते हैं वह बच्चों को भगवान की देन समझते हैं अनेक बार एक पुत्र की कामना में माता-पिता अपने परिवार को बढ़ाते चले जाते हैं

3.अध्यापकों की कमी– आजकल शिक्षकों को भी जनसंख्या शिक्षा का सम्यक ज्ञान नहीं है शिक्षकों को अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती है अल्प ज्ञान या समुचित ज्ञान न रखने वाले शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जनसंख्या की गत्यात्मकता व अन्य सह्युक्त बातों के बारे में समुचित ज्ञान नहीं दे सकते

4.जनसंख्या शिक्षा की पाठ्यवस्तु– जनसंख्या शिक्षा की पाठ्यवस्तु में जनसंख्या वृद्धि की स्थिति, जनसंख्या वृद्धि व आर्थिक विकास से संबंध, अधिक संतान उत्पत्ति व माता का स्वास्थ्य, जनसंख्या व प्रति व्यक्ति आय में संबंध, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता व जनसंख्या परिवार की सीमा व मनुष्य का विवेक, सीमित परिवार की आवश्यकता आदि प्रकरण शामिल किए जा सकते हैं सोच समझकर विषय वस्तु निर्धारित न करने के कारण विद्यार्थियों को पाठ्य वस्तु समझाने में कठिनाई होती है वे जनसंख्या संबंधी बातें सीखने में रुचि भी नहीं लेते हैं

5.जनसंख्या शिक्षा संबंधी शोध कार्यों की कमी– भारत में जनसंख्या संबंधी शोध कार्य बहुत प्रारंभिक अवस्था में है जनसंख्या वृद्धि के कारणों और प्रभाव के बारे में प्रमाणिक जानकारी का अभाव है देश में चलाए जा रहे जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रमों की प्रभावोत्पादकता का व्यापक मूल्यांकन न हो पाने के कारण जनसंख्या शिक्षा के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम  के निर्माण व इसके इसे प्रदान करने के लिए उपयुक्त शिक्षण विधियों व सामग्री की खोज करने में असुविधा हो रही है






जनसंख्या शिक्षा को सफल बनाने के सुझाव/उपाय (Tips / measures to make population education successful)


आजकल जनता व सरकार ने जनसंख्या शिक्षा की जरूरत स्वीकार कर ली है इसके कुछ उपाय निम्न है


  1. जनसंख्या शिक्षा की आवश्यकता पर शिक्षण संस्थानों व समुदायों में संगोष्ठी आयोजित की जाए 
  2. जनसंख्या शिक्षा संबंधी कार्यों में लगे संगठनों के कार्यों को समन्वित कर उपयोगी संगठित कार्यक्रम का विकास करना चाहिए 
  3. समय-समय पर जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि कार्यक्रमों की सफलता असफलता के लिए उत्तरदाई कारकों को ज्ञात किया जा सके 
  4. जनसंख्या शिक्षा को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाए 
  5. कक्षा में सूचनाएं देने मात्र से विद्यार्थी जनसंख्या वृद्धि की समस्या को वास्तव में समझ नहीं सकेंगे 'उषा सुंदरी वली' (1986) के अनुसार छात्रों को प्रासंगिक दत्तो का अध्ययन एवं चर्चा करने के बाद यह स्वयं निश्चित करने देना चाहिए कि देश एवं समाज में जनसंख्या की स्थिति एक समस्या के रूप में उभर कर आ रही है जिसका समाधान आवश्यक है 
  6. विकासशील देशों एवं औद्योगिक देशों में जनसंख्या वृद्धि की दर एवं आर्थिक संसाधनों की तुलना करवाकर, जनसंख्या व विकास पर जीवन चर्या व वाद-विवाद आयोजित करके, अभिगमन का प्रयोग करके, शिक्षण करके वह वीडियो कैसेट  का प्रयोग जनसंख्या शिक्षा की प्रक्रिया को प्रभावी बना सकता है