अनुसूची, प्रश्नावली

 अनुसूची (Schedule)


अनुसूची समंक संकलन हेतु बहुतायत से प्रयुक्त होने वाला एक मापन उपकरण है। इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। सामान्यतः अनुसूची की पूर्ति समंक संकलन करने वाला व्यक्ति स्वयं करता है। अनुसंधानकर्ता/मापनकर्त्ता उत्तरदाता से प्रश्न पूछता है, आवश्यकता होने पर प्रश्न को स्पष्ट करता है तथा प्राप्त उत्तरों को अनुसूची में अंकित करता जाता है। परन्तु कभी-कभी अनुसूची की पूर्ति उत्तरदाता से भी करायी जाती है। वेबस्टर के अनुसार एक औपचारिक सूची कैटलॉग अथवा सूचनाओं की सूची होती है। अनुसूची को औपचारिक तथा प्रमापीकृत जाँच कार्यों प्रयुक्त होने वाली गणनात्मक प्रविधि के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है, जिसका उद्देश्य मात्रात्मक समंको के संकलन को व्यवस्थित एवं सुविधाजनक बनाना होता है। अवलोकन तथा साक्षात्कार को वस्तुनिष्ठ व प्रामाणिक बनाने में अनुसूचियाँ सहायक सिद्धती हैं। वे एक समय में किसी एक बात का अवलोकन या जानकारी प्राप्त करने पर बल देती हैं, जिसके फलस्वरूप अवलोकन से प्राप्त जानकारी अधिक सटीक होती है। अनुसूची काफी सीमा तक लिखित प्रश्नावली के समान होती है तथा इन दोनों में विभेद करना अत्यन्त कठिन कार्य होता है। अनुसूचियाँ अनेक प्रकार की हो सकती हैं जैसे- अवलोकन अनुसूची, साक्षात्कार अनुसूची, दस्तावेज अनुसूची, मूल्यांकन अनुसूची, निर्धारण अनुसूची आदि। परन्तु ये अनुसूचियाँ परस्पर एक दूसरे से पूर्णत: अपवर्जित नहीं हैं, जैसे- साक्षात्कार अनुसूची में अवलोकन के आधार पर पूर्ति किये जाने वाले पद भी हो सकते हैं।


अवलोकन अनुसूची व्यक्तियों अथवा समूहों की क्रियाओं तथा सामाजिक परिस्थितियों को जानने के लिए समान आधार प्रदान करती है। इस प्रकार अनुसूचियों की सहायता से एक साथ अनेक अवलोकनकर्ता एक रूपता के साथ बड़े समूह से समंक संकलित कर सकते हैं। साक्षात्कार अनुसूचियों का प्रयोग अर्द्धप्रमापीकृत तथा प्रमापीकृत साक्षात्कारों में किया जाता है। ये साक्षात्कार को प्रमापीकृत बनाने में सहायक होती हैं।

दस्तावेजों का प्रयोग व्यक्ति इतिहासों से सम्बन्धित दस्तावेजों तथा अन्य सामग्री से समंक संकलित करने हेतु किया जाता है। इस प्रकार की अनुसूचियों में उन्हीं बिन्दुओं / पदों को सम्मिलित किया जाता है जिनके सम्बन्ध में सूचनाएँ विभिन्न व्यक्ति-इतिहासों से समान रूप से प्राप्त हो सकें। अतः अपराधी बच्चों अथवा आनुवंशिक अध्ययनों की व्यक्ति इतिहासों का अध्ययन करने के लिए बनायी अनुसूची में उन्हीं बातों को सम्मिलित किया जायेगा जो अध्ययन में सम्मिलित सभी बच्चों के व्यक्ति इतिहासों से ज्ञात हो सकती हैं। जैसे- अपराध शुरू करने की आयु. माता-पिता का शिक्षा स्तर, परिवार का सामाजिक-आर्थिक स्तर, अपराधों की प्रकृति व आवृत्ति आदि।

मूल्यांकन अनुसूची का प्रयोग एक साथ अनेक स्थानों पर संचालित समान प्रकार के कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक सूचनाएँ संकलित करने के लिए किया जाता है। जैसे यू. जी. सी. द्वारा अनेक विश्वविद्यालयों में एक साथ संचालित एकेडेमिक स्टाफ कालेज योजना का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न एकेडेमिक स्टाफ कालेजों से कार्यक्रम सम्बन्धी विभिन्न सूचनाओं को संकलित करने के लिए मूल्यांकन अनुसूची का प्रयोग किया जा सकता है। निर्धारण अनुसूची का प्रयोग किसी गुण की मात्रा का निर्धारण करने अथवा अनेक गुणों की तुलनात्मक उपस्थिति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। निर्धारण अनुसूची वास्तव में निर्धारण मापनी का ही एक रूप है।

प्रश्नावली (Questionnaire)


प्रश्नावली प्रश्नों का एक समूह है जिसे उत्तरदाता के सम्मुख मुद्रित रूप में प्रस्तुत किया जाता है तथा वह उनका लिखकर अथवा चिह्न लगाकर उत्तर देता है। प्रश्नावली प्रमापीकृत साक्षात्कार का लिखित रूप है। साक्षात्कार में एक-एक करके प्रश्न मौखिक रूप में पूछे जाते है तथा उनका उत्तर भी मौखिक रूप से प्राप्त होता है, जबकि प्रश्नावली का एक व्यवस्थि संचयन है। प्रश्नावली एक साथ अनेक व्यक्तियों को दी जा सकती है जिससे कम समय का व्यय तथा कम श्रम में अनेक व्यक्तियों से प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो जाता है। प्रश्नावली तैयार करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए 

1. प्रश्नावली के साथ मुखपत्र अवश्य संलग्न करना चाहिए जिसमें प्रश्नावली को प्रशासित करने के उद्देश्य का स्पष्ट उल्लेख किया गया हो। 

2. प्रश्नावली के प्रारम्भ में आवश्यक निर्देश अवश्य देने चाहिए जिनमें उत्तर क अंकित करने की विधि स्पष्ट की गयी हो।

3. प्रश्नावली में सम्मिलित प्रश्न आकार की दृष्टि से छोटे, बोधगम्य तथा सरल भाषा में होने चाहिए।

4. प्रत्येक प्रश्न में केवल एक ही विचार को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 

5. प्रश्नावली के प्रश्नों में प्रयुक्त तकनीकी/जटिल शब्दों के अर्थ को स्पष्ट कर देना चाहिए।

6. प्रश्नों में एक साथ दुहरी नकारात्मकता का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

7. प्रश्न इस प्रकार के होने चाहिए कि प्रश्नों का उत्तर देने में उत्तरदाता को सरलत होनी चाहिए।

8. प्रश्नावली में सम्मिलित प्रश्नों के उत्तरों का स्वरूप इस प्रकार का होना चाहिए कि उनका संख्यात्मक विश्लेषण किया जा सके।

9. प्रश्नावली बहुत अधिक बड़ी नहीं होनी चाहिए।

प्रश्नावली प्रत्यक्ष सम्पर्क के द्वारा भी प्रशासित की जा सकती है तथा डाक द्वारा भेजकर भी आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। उत्तर प्रदान करने के आधार पर प्रश्नावली दो प्रकार की हो सकती है। प्रश्नावली के ये दो प्रकार प्रतिबन्धित प्रश्नावली तथा मुक्त प्रश्नावली हैं। प्रतिबन्धित प्रश्नावली में दिये गये कुछ उत्तरों में से किसी एक उत्तर का चयन करना होता है, जबकि मुक्त प्रश्नावली में उत्तरदाता को अपने शब्दों में तथा अपने विचारानुकूल उत्तर देने की स्वतन्त्रता होती है। जब प्रश्नावली में दोनों ही प्रकार के प्रश्न होते हैं तब उसे मिश्रित प्रश्नावली कहते हैं।