निबन्धात्मक एवं वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में अंतर
निबन्धात्मक एवं वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का तुलनात्मक अध्ययन (Difference between Essay and Objective Tests)
बिन्दु |
निबन्धात्मक परीक्षण |
वस्तुनिष्ठ परीक्षण |
1. रचना |
इनकी रचना सरल होती है तथा इनकी रचना में कम समय लगता है |
इनकी रचना कठिन होती है तथा इनकी रचना में अधिक समय, धन व शक्ति की आवश्यकता होती है। |
2. अंकन |
इनका अंकन कठिन होता है। विषय का ज्ञाता ही अंकन कार्य कर सकता है। इनका आदर्श उत्तर लगभग असंभव होता है। |
इनका अंकन सरल होता है। कोई भी व्यक्ति इसका अंकन कार्य कर सकता है। इनका निश्चित उत्तर होता है। |
3. प्रश्न के प्रकार |
इनमें सामान्य प्रकृति के प्रश्न होते हैं। |
इनमें सम्मिलित प्रश्नों की प्रकृति विशिष्ट होती है। |
4. प्रश्नों की संख्या |
इनमें प्रश्नों की संख्या सामान्यतः कम होती है। |
इनमें सम्मिलित प्रश्नों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है। |
5. प्रशासन |
इनका प्रशासन सरल होता है सामान्यतः विशिष्ट निर्देशों की आवश्यकता नहीं होती। |
इनके प्रशासन में विशिष्ट निर्देशों की आवश्यकता होती है। इसलिए इनका प्रशासन कठिन होता है। |
6. भाषा तथा सुलेख |
इनमें भाषा तथा सुलेख का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। |
इनमें भाषा व सुलेख का कोई महत्त्व नहीं होता है। |
7. अनुमान का प्रलेख |
इनमें अनुमान से उत्तर नहीं लिखा जा सकता है परन्तु धोखा दिया जा सकता है। |
इनमें अनुमान से प्रश्नों के उत्तर दिये जाते हैं। |
8. वस्तुनिष्ठता |
ये कम व स्तुनिष्ठ परीक्षण होते है, जिससे मापन की व्यक्तिगत त्रुटि अधिक होती है। |
ये वस्तुनिष्ठ परीक्षण होते हैं, इनमें मापन की व्यक्तिगत त्रुटियाँ नहीं होती हैं। |
9. विश्वसनीयता |
ये कम विश्वसनीय होते हैं इनमें मापन की चर त्रुटियाँ अधिक होती हैं। |
ये अधिक विश्वसनीय होते हैं। इनमें मापन की चर त्रुटियाँ कम होती हैं। |
10. वैधता |
ये अपेक्षाकृत कम वैध होते हैं। इनमें प्राय: मापन की स्थिर त्रुटियाँ अधिक होती हैं। |
यह अधिक वैध होते हैं। इनमें मापन की स्थिर त्रुटियाँ कम होती हैं। |
11. मानक |
इनके लिए मानक तैयार करना कठिन होता है। इसलिए इनमें व्याख्यात्मक त्रुटियाँ अधिक होती हैं। |
इनमें मानक तैयार करना सरल होता है जिससे इनमें व्याख्यात्मक त्रुटियाँ कम होती हैं। |
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