सेमेस्टर प्रणाली
सेमेस्टर प्रणाली (semester system)
सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत किसी उपाधि विशेष के लिए निर्धारित पूरे पाठ्यक्रम को 6-6 माह के कुछ भागों में बाँट दिया जाता है जिसे सेमेस्टर प्रणाली कहते हैं। प्रत्येक सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का शिक्षण कार्य पूर्ण करने के बाद परीक्षा आयोजित की जाती है। यह स्पष्ट है कि सेमेस्टर प्रणाली में शिक्षा सत्र एक वर्ष या द्विवर्ष का न होकर मात्र 6 माह का होता है और प्रत्येक 6 माह के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन व परीक्षा सुनियोजित ढंग से इस निर्धारित अवधि में हो सम्पादित कर ली जाती है। सेमेस्टर प्रणाली में एक वर्षीय पाठ्यक्रम को दो सेमेस्टरों में, द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम को चार सेमेस्टरों में तथा त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम को छह सेमेस्टरों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक सेमेस्टर के लिए अलग-अलग पाठ्यवस्तु निर्धारित रहती है जिसे 6 माह की अवधि में पढ़ाया जाता है। और परीक्षा करायी जाती है।
सेमेस्टर प्रणाली वर्तमान में प्रचलित वार्षिक प्रणाली की कमियों को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होता है। सेमेस्टर प्रणाली से विभिन्न लाभ होते हैं। इस प्रणाली में सत्र की अवधि कम होने के कारण छात्रों को सम्पूर्ण सेमेस्टर के दौरान निरन्तर अध्ययनरत रहना पड़ता है। निरन्तर गहन अध्ययन करने के फलस्वरूप उनमें विषय वस्तु की जानकारी के साथ-साथ आत्म विश्वास भी बढ़ता है। सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत एक सेमेस्टर के परीक्षा परिणामों का इन्तजार किये बिना अगले सेमेस्टर का अध्ययन प्रारम्भ कर सकते हैं। केवल अन्तिम सेमेस्टर की परीक्षा के समय परीक्षा परिणाम का इन्तजार एक बाध्यता हो सकती हैं परन्तु शेष सेमेस्टरों को परीक्षा सम्पन्न होने के उपरान्त अगले सेमेस्टर का शिक्षण कार्य तुरन्त ही शुरु किया जा सकता है। यदि कोई छात्र किसी विषय में अनुत्तीर्ण हो जाता है, तो वह उस विषय को अगली बार पुन: परीक्षा देकर उर्तीण कर सकता है। इस प्रकार से सेमेस्टर प्रणाली में परीक्षा समाप्ति के उपरान्त परिणामों के इन्तजार में समाप्त की जाने वाली दो-तीन महीने की अवधि का उपयोग शिक्षण अधिगमन के लिए करना अवधि का उपयोग शिक्षण अधिगम के लिए करना सम्भव हो सकता है। अत: सेमेस्टर प्रणाली पूरे वर्ष शिक्षक तथा शिक्षार्थी को शिक्षण व अधिगम में व्यस्त रख सकती है। जिसके फलस्वरूप विद्यालय में अनुशासनहीनता की समस्या को काफी सीमा तक समाप्त किया जा सकता है।
सेमेस्टर प्रणाली में कुछ दोष भी दिखाई देते हैं। कम अन्तराल पर परीक्षाओं का आयोजन करना प्रशासनिक दृष्टि से एक समस्या भी है। विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर वर्ष में दो बार परीक्षाओं का आयोजन सम्भव हो सकेगा परन्तु छात्र संख्या के अधिक होने पर वर्ष में दो बार परीक्षा सम्पन्न कराना प्रशासनिक तन्त्र के लिए बहुत ही कठिनाई होगा। 10% 12th अथवा स्नातक स्तर पर जहाँ छात्रों की संख्या लाखों या हजारों में होती है। वहाँ पर वर्ष में एक से अधिक बार बाह्य परीक्षा का आयोजन असम्भव सा होगा। ऐसे समय में आन्तरिक परीक्षा के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। अतः बार-बार परीक्षा लेने पर सेमेस्टर प्रणाली अधिक खर्चीली भी होगी।
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