उपलब्धि परिक्षण

 उपलब्धि परिक्षण(achievement test)



(निदानात्मक परीक्षण, उपचारात्मक शिक्षण) उपलब्धि परीक्षण / निष्पत्ति परीक्षण:-

शिक्षण कार्य करने के बाद जब एक शिक्षक यह जानने का प्रयास करता है कि उसके बालकों को किस सीमा तक अधिगम हुआ। इसके लिए किए जाने वाले एक विशेष परीक्षण को उपलब्धि/ निष्पत्ति परीक्षण कहा जाता है। इस परीक्षण का आयोजन उस स्थिति में किया जाता है, जब शिक्षण कार्य हो चुका होता है।

गैरीसन:- "उपलब्धि परीक्षण बालक के लिए वह कार्य है जिसके द्वारा यह जानने का प्रयास किया जाता है कि बालक ज्ञान या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में किस सीमा तक सीखा है।"

इबेल:- "उपलब्धि परीक्षण वह अभिकल्प है, जिसमें शिक्षार्थी के द्वारा ग्रहण ज्ञान, कौशल व क्षमता का मापन किया जाता है।"

उपलब्धि परीक्षण में दो प्रकार के परीक्षण होते हैं


(i) अप्रमाणीकृत/अमानकीकृत परीक्षण:-

वे परीक्षण जिनका निर्माण शिक्षक अपने स्तर पर बिना किसी विशेष प्रमाणीकृत व्यवहार से करता है जिससे यह परीक्षण विश्वसनीय नहीं होता है।


(ii) प्रमाणीकृत/मानकीकृत परीक्षण:-

वह परीक्षण जिसमें वैज्ञानिक व्यवहार या मानकीकृत परीक्षण अपनाया जाता है जिसके द्वारा प्राप्त परिणाम विश्वसनीय होते हैं।

उपलब्धि परीक्षण का मूल उद्देश्य उन बालकों की पहचान करना होता है, जिन्हें आवश्यक सीमा तक अधिगम नहीं हुआ हो। ऐसे बालकों को समस्यात्मक बालक कहते है।

यदि उपलब्धि परीक्षण के द्वारा एक भी बालक समस्यात्मक नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में आगे के परीक्षणों का आयोजन नहीं किया जाता परन्तु यदि एक भी बालक समस्यात्मक मिल जाता है तो आगे के परीक्षणों का आयोजन किया जाता है।


निदानात्मक परीक्षण(diagnostic test):-

उपलब्धि परीक्षण में पहचान किए गए समस्यात्मक बालकों की समस्या के कारणों को जानने के लिए निदानात्मक परीक्षण का आयोजन किया जाता है।

इस परीक्षण के माध्यम से जिन कारणों का पता चलता है उन कारणों को दूर करते हुए आगे की व्यवस्था की जाती है। 

उपचारात्मक शिक्षक(remedial teacher):-

निदानात्मक परीक्षण के माध्यम से पहचान किए गए कारणों को दूर करते हुये पुनः शिक्षण कार्य करना एवं समस्यात्मक बालकों को आवश्यक सीमा तक अधिगम करवाना ही उपचारात्मक शिक्षण है।


उपचारात्मक शिक्षण केवल उन बालकों के लिए होता है जो समस्यात्मक होते हैं।