दूरस्थ शिक्षा एवं खुली शिक्षा की अवधारणा

दूरस्थ शिक्षा एवं खुली शिक्षा की अवधारणा (Concept of Distance Education and Open Education)



दूरस्थ शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा को आधुनिक प्रणाली है। इसमें शिक्षक तथा छात्र का प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता है। दूरस्थ शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है, दूर स्थित शिक्षा अर्थात् दूर होते हुए भी शिक्षा प्राप्त करना। दूसरे शब्दों में शिक्षा देने वाले और छात्रों की बीच दूरी होते हुए भी प्रदान की जाने वाली शिक्षा दूरस्थ शिक्षा कहलाती है। यह शिक्षा अप्रत्यक्ष शिक्षण की व्यवस्था है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपकरणों के माध्यम से छात्रों से सम्पर्क स्थापित किया जाता है। दूरस्थ शिक्षा उन बालकों, युवाओं एवं प्रौढ़ों के लिए शिक्षा की एक व्यवस्था है जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं और भविष्य में भी समर्थ नहीं हो सकते हैं। वास्तव में दूरस्थ शिक्षा उन लोगों तक पहुँचाने की व्यवस्था है जो किसी आयु एवं किसी स्थान पर रहने वाले हैं या किसी व्यवसाय एवं सेवा में कार्यरत है तथा अपनी शिक्षा को जारी रखना चाहते हैं। दूरस्थ शिक्षा शब्द का प्रयोग सन् 1982 से शुरू हुआ जब चार दशक पुरानी पत्राचार शिक्षा की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद (ICCE) ने अपना नाम बदलकर दूरस्थ शिक्षा की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद (ICDE) रखा। इस परिषद में विश्व के लगभग 50 देश सदस्य है। इसके परिणामस्वरूप भारत सहित समस्त विश्व में पत्राचार शिक्षा को दूरस्थ शिक्षा कहा जाने लगा।

खुली शिक्षा/मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना देश की दूरदराज की आबादी को उच्च शिक्षा से अधिक अवसर देने तथा शिक्षा को सर्वसुलभ स्वरूप प्रदान करने के लिए की गई है। सन् 1979 में ब्रिटेन में सबसे पहले मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। भारत में प्रथम खुला विश्वविद्यालय की स्थापना 1982 ई. में आन्ध्र प्रदेश में की गई। इसमें बी.ए., बी.कॉम, बी.एस.सी. कुछ विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि तथा पुस्तकालय विज्ञान आदि की शिक्षा व्यवस्था की गई थी। 1985 में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी जो संसद द्वारा पारित अधिनियम पर आधारित था। 

दूरस्थ शिक्षा शब्द का प्रयोग सन् जब चार दशक पुरानी पत्राचार शिक्षा की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद (ICCE) ने अपना नाम बदलकर दूरस्थ शिक्षा की अन्तर्राष्ट्रीय परिषद (ICDE) रखा। इस परिषद में विश्व के लगभग 50 देश सदस्य हैं। इसके परिणामस्वरूप भारत सहित समस्त विश्व में पत्राचार शिक्षा को दूरस्थ शिक्षा कहा जाने लगा। 

जैक फॉक्स के अनुसार-"दूरस्थ शिक्षा अधिगम विधि की कुछ ऐसी विशेषताओं को प्रकट करती है जो शिक्षा संस्थाओं को अधिगम विधि से भिन्न है।" 

दूरस्थ एवं खुली शिक्षा की तुलना (Comparison of distance and open education)- 

1. दूरस्थ शिक्षा एक प्रकार का शिक्षण कार्यक्रम है जो विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा उन छात्रों को प्रदान किया जाता है जो संस्थान में मौजूद नहीं है जबकि मुक्त विश्वविद्यालय एक विश्वविद्यालय है जो दूरस्थ और ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रवेश के लिए खुली सहमति प्रदान करता है।

2. खुली शिक्षा एक प्रकार का विश्वविद्यालय है जबकि दूरस्थ शिक्षा एक प्रकार की शिक्षण विधि है।

3. एक खुले विश्वविद्यालय में कोई संबद्ध कालेज नहीं है इसमें केवल अध्ययन केन्द्र एवं संस्थान शामिल है जबकि दूरस्थ शिक्षा में विश्वविद्यालय या पारंपरिक विश्वविद्यालय हो सकता है इसलिए विभिन्न कालेज पारंपरिक विश्वविद्यालय से संबद्ध है।

4. खुला विश्वविद्यालय की स्थापना उन व्यक्तियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी जो पारंपरिक विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं ले सकते जबकि दूरस्थ शिक्षा की स्थापना उन लोगों तक शिक्षा की पहुँच की अनुमति देने के उद्देश्य से की गई थी जो नियमित कालेजों के भाग लेने में असमर्थ थे।

दूरस्थ शिक्षा की विशेषताएँ (Features of Distance Learning)-

दूरस्थ शिक्षा निम्न विशेषताएँ हैं

1. यह शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा प्रणाली है जिसे पत्राचार शिक्षा, मुक्त अधिगम, मुक्त शिक्ष आदि कहा जाता है।

2. यह शिक्षा स्थान, समय आदि से सम्बन्धित नहीं है। 

3. इसमें छात्रों के व्यक्तिगत अध्ययन पर बल दिया जाता है।

4. इस शिक्षा में बहुआयामी पाठ्यक्रमों का समावेश होता है। 

5. इसमें शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश सभी के लिए सुलभ है।

6. इस शिक्षा में शिक्षार्थी अपनी गति एवं सुविधा के अनुसार ज्ञानार्जन करता है। 


दूरस्थ शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of distance education)-

दूरस्थ शिक्षा के निम्न उद्देश्य है

1. उन व्यक्तियों को सीखने के अवसर प्रदान करना जो कम आय, अधिक आयु, दूरी आदि के कारण अपनी शिक्षा को जारी रखने में असमर्थ हैं। 

2. शिक्षित व्यक्तियों को उनके वर्तमान रोजगार में बाधा उत्पन्न किये बिना ज्ञान-विकास हेतु अवसर प्रदान करना।

3. सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों को समाज के योग्य नागरिक बनाने में सहायता प्रदान करना।

4. उच्चतर शिक्षा के लिए व्यापक अवसर प्रदान करना।

5. सीखने वाले को उनकी रुचियों से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में हुए वर्तमान विकास एवं सुधारों से अवगत कराना।

दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व (Need and importance of distance education)-

इसकी आवश्यकता एवं महत्व निम्न हैं

1. इसके द्वारा नये परिवर्तनों को शामिल करना सम्भव है जिससे ज्ञान को आधुनिक बनाया जा सकता है।

2. इस शिक्षा के माध्यम से छात्रों की विभिन्न शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।

3. यह योग्यता बढ़ाने वाले व्यक्तियों की इच्छा को पूरा करती है। 

4. यह शिक्षा लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


दूरस्थ शिक्षा के घटक (Components of distance education)-

दूरस्थ शिक्षा के निम्न घटक है

1. मुक्त अधिगम

2. मुक्त शिक्षा

3. पत्राचार शिक्षा।


दूरस्थ शिक्षा के साधन (Distance learning tools)-

दूरस्थ शिक्षा के निम्न साधन हैं


1. मुद्रित सामग्री

2. श्रव्य-दृश्य सहायक सामग्री

3. रेडियो एवं दूरदर्शन

4. कम्प्यूटर आधारित शिक्षण अधिगम

5. दत्त कार्य

6. परामर्श कक्षाएँ

दूरस्थ शिक्षा की सीमाएँ (Limitations of Distance Learning)-

दूरस्थ शिक्षा की निम्न सीमाएँ हैं


1. यह शिक्षा प्रणाली विज्ञान एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि प्रयोगात्मक कार्य एवं उसके पर्यवेक्षण की व्यवस्था नहीं हो पाती है। 

2. इस शिक्षा में स्वाध्याय पर अधिक बल दिया जाता है। अतः परिपक्व एवं लगनशक्ति व्यक्ति ही इसका लाभ उठा पाते हैं।

3. इस शिक्षा प्रणाली में पर्यवेक्षण एवं निगरानी न होने के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं हो पाती।