शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा, प्रकार

शिक्षण कौशल का अर्थ (Meaning of Teaching Skills)





सभी शिक्षा शास्त्री तथा मनोवैज्ञानिक शिक्षण को कला तथा विज्ञान दोनों ही स्वीकार करते हैं यदि शिक्षण को कला स्वीकार किया जाए तो यह मानना होगा कि शिक्षक तैयार नहीं किए जा सकते वह तो जन्म से ही शिक्षक बनने की योग्यता एवं क्षमताओं से पूर्ण होते हैं समय के साथ-साथ उनकी इन योग्यताओं क्षमताओं का विकास होता है यदि शिक्षण को एक विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाए तो यह मानना होगा कि शिक्षक प्रशिक्षण द्वारा तैयार किए जा सकते हैं अतः जब से शिक्षण को एक कला के रूप में मान्यता प्राप्त हुई तभी से शिक्षण की प्रक्रिया को एक अतिरिक्त शिक्षा कौशल का समूह स्वीकार किया जाने लगा और विभिन्न कौशलों पर आधारित शिक्षण का विकास तथा विस्तार प्रारंभ हुआ सोच में शिक्षण में तो शिक्षण कौशल को बहुत अधिक महत्व दिया गया है और इस शिक्षण के माध्यम से शिक्षक के शिक्षण कौशल को विकसित किया जा सकता है









शिक्षण कौशल की परिभाषाएं (Definitions of Teaching Skills)


गेज के अनुसार- शिक्षण कौशल वह विशिष्ट अनुदेशन प्रक्रिया है जो अध्यापक द्वारा अपनी कक्षा शिक्षण की स्थिति में प्रयोग किया जाता है यह शिक्षण क्रम की विभिन्न कक्षाओं से संबंधित होता है जिसे शिक्षक अपनी कक्षीय अन्तःक्रियाओ में निरंतर प्रयोग करते हैं

मैकइन्टेयर और व्हाइट के अनुसार- शिक्षण कौशल, शिक्षण व्यवहारों से संबंधित वह स्वरूप है जो कक्षा की प्रक्रिया द्वारा उन विशिष्ट परिस्थितियों को जन्म देता है जो शिक्षक उद्देश्य शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती है और छात्रों को सीखने में सुगमता प्रदान करती है

डॉ. वी. के. पासी के अनुसार- शिक्षण कौशल, छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से संपन्न की गयी संबंधित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों का समूह है

एन. एल. गेज के अनुसार- शिक्षण कौशल वे विशिष्ट अनुदेशात्मक क्रियाएं व प्रक्रियाएं हैं जिन्हें शिक्षक कक्षा-कक्ष में अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए उपयोग करता है यह शिक्षण की विभिन्न अवस्थाओं से संबंधित होती हैं तथा ये शिक्षक के निरंतर प्रयोग में आती हैं






 शिक्षण कौशल की विशेषताएं (Features of Teaching Skills)


  1. शिक्षण कौशल स्पष्ट चिंतन, छात्रों की रुचि, कार्यशालाओं का विकास, बुद्धि का विकास एवं व्यक्तित्व संतुलन को विकसित करने में सहायक सिद्ध होती है 
  2. शिक्षकों द्वारा शिक्षण कौशलों के आयोजन से पता चलता है कि शिक्षक शिक्षण क्रिया के संपादन में कितने सजग और जागरूक हैं 
  3. शिक्षण कौशल शिक्षण कार्यों का विश्लेषण करने में सहायक है इनके द्वारा शिक्षण की क्रियाओं का विश्लेषण करते हुए उनकी संरचना पर विशेष ध्यान दिया जाता है शिक्षण क्रिया के संचालन की शिक्षण कौशल एक महत्वपूर्ण इकाई होती है 
  4. शिक्षण कौशल की कार्य कुशलता में वृद्धि होती है जिससे उन्हें शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में सहायता मिलती है और वे सरलता से अपने शिक्षण शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं 
  5. शिक्षण कौशल कक्षा शिक्षण व्यवहार की इकाई से संबंधित होती है 
  6. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रिया तथा व्यवहार से संबंधित है 
  7. शिक्षण कौशल शिक्षा के विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं
  8. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाती है 
  9. शिक्षण कौशल से समस्त अंतः क्रिया को सक्रिय बनाया जाता है 
  10. शिक्षण कौशल के माध्यम से विषय वस्तु छात्रों को सरलता व सुगमता से सिखाया जा सकता है

शिक्षण कौशल के प्रकार (Types of teaching skills)


  1. खोजक प्रश्न कौशल
  2. प्रस्तावना कौशल
  3.  पुनर्बलन कौशल
  4. श्यामपट्ट लेखन कौशल
  5. स्पष्टीकरण का कौशल
  6. उद्दीपन परिवर्तन कौशल
  7.  दृष्टांत कौशल

खोजक प्रश्न कौशल (Finder question skills)


इसमें खोजक प्रकारों का प्रश्न पूछकर शिक्षक छात्रों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और उन्हें अब प्रेरित करता है वह छात्रों में रुचि एवं जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ने की कोशिश करता है विद्यार्थी चिंतन करते हैं और विभिन्न पहलुओं पर ध्यान पूर्वक सोच-विचार करते हैं 

खोजपूर्ण प्रश्न कौशल के घटक (Components of Exploratory Questioning Skills)


इस कौशल के निम्नलिखित घटक है 

  1. संकेत देना 
  2. विस्तृत सूचना प्राप्ति 
  3. पुनः केंद्रीकरण 
  4. पुनःप्रेषण 
  5. आलोचनात्मक सजगता

1.संकेत देना- कक्षा में विद्यार्थी जिस प्रश्न का उत्तर देने में अपनी असमर्थता प्रकट करते हैं तो शिक्षक ऐसे प्रश्न पूछ सकता है जिनसे विद्यार्थी को पहले के प्रश्नों का हल ढूंढने में मदद मिले 

2.विस्तृत सूचना प्राप्ति- कक्षा में जब विद्यार्थी किसी प्रश्न का पूर्ण उत्तर नहीं देता या उनका पर कुछ हद तक सही होता है तो सही उत्तर प्राप्त करने के लिए शिक्षक इस प्रकार के प्रश्न सकता है उत्तर तो सही है विस्तार से समझाओ इस प्रकार से शिक्षक विद्यार्थी से सही उत्तर प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है 

3.पुनः केंद्रीकरण- कई बार कक्षा में शिक्षक विद्यार्थियों के उत्तरों से संतुष्ट नहीं होते वे विद्यार्थियों का ध्यान अपनी परिस्थितियों की ओर आकर्षित कर सकते हैं जिनसे वैसी ही समस्याएँ पैदा हो सकती है इससे अधिगम का स्थानांतरण संभव हो सकता है 

4.पुनः प्रेषण- शिक्षक कक्षा में एक ही प्रश्न को बार-बार पहुंचकर विभिन्न उत्तर प्राप्त करके उन में चिंतन शक्ति और तर्कशक्ति का विकास करने की कोशिश करता है इससे शिक्षक विद्यार्थियों कि अधिक से अधिक प्रतिभागिता को प्रोत्साहन दे सकता है 

5.आलोचनात्मक सजगता- इस घटक में क्यों, कैसे वाले प्रश्न पूछे जाते हैं इन प्रश्नों से शिक्षक विद्यार्थियों में आलोचनात्मक सजगता का विकास करता है जैसे- तुम अपने उत्तर को सही क्यों मानते हो? तुम कैसे कह सकते हो कि यह प्रश्न ऐसे ही हल होगा?






प्रस्तावना कौशल (Introduction skills)


यह शिक्षण कौशल शिक्षक द्वारा नए पाठ की शुरुआत के समय प्रयोग किया जाता है इस कौशल की यह मान्यता है कि पाठ का प्रस्तुतीकरण जितना आकर्षक और रोचक होगा उतना ही विद्यार्थी पाठ को ध्यानपूर्वक और अधिक केंद्रित होकर पढ़ेंगे शिक्षक द्वारा छात्रों को नवीन पाठ की ओर केंद्रित करने के लिए विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की परीक्षा ली जाती है जिससे नवीन ज्ञान प्रदान करने में सुविधा हो सके और शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति आसानी से हो 

प्रस्तावना कौशल के घटक (Components of introduction skills)


  1. चित्रों अथवा रेखा चित्र के द्वारा छात्रों को समझाना 
  2. कहानी द्वारा प्रभावशाली शिक्षण को जन्म देना 
  3. काव्यांश द्वारा शिक्षण को प्रभावशाली बनाना और विद्यार्थियों को आकर्षित करना 
  4. दृश्य-श्रव्य साधनों को उपयुक्त रूप से प्रस्तुत करना 
  5. क्रमबद्ध रूप से पाठ का विवरण देना

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement skills)


पुनर्बलन कौशल से अभिप्राय हैं ऐसे उद्दीपनों का प्रयोग करना जिनके प्रस्तुतीकरण या जिन्हें हटाने से किसी अनुक्रिया के होने की आशा बढ़ जाती है इन उद्दीपनों में पुरस्कार, शाबाशी देना, प्रशंसा करना आदि क्रियाएं आती हैं शिक्षण प्रक्रिया में, पुनर्बलन का तात्पर्य उद्दीपनओं का प्रयोग करना या उन्हें प्रस्तुत करना या हटाना ताकि किसी अनुक्रिया के होने की संभावनाएं बढ़ जाए उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र शिक्षक के प्रश्नों का सही से उत्तर देता है तो उसे पुरस्कार देना या उसकी प्रशंसा करना।

सकारात्मक पुनर्बलन दो प्रकार के होते हैं

1.शाब्दिक सकारात्मक पुनर्बलन- विद्यार्थियों के अधिगम को स्थाई करने के लिए शिक्षक सकारात्मक कदमों का प्रयोग कर सकता है या शिक्षक विद्यार्थियों के सुझाव का समर्थन कर सकता है और उत्साहवर्धक शब्दों का प्रयोग कर सकता है जैसे- बहुत अच्छा, ठीक, अति उत्तम आदि इन सभी प्रकार की क्रियाओं को शब्द पुनर्बलन कहते हैं

2.अशाब्दिक सकारात्मक पुनर्बलन- कक्षा में कई बार शिक्षक विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग करता है जैसे- मुस्कुराना, सिर हिलाना, विद्यार्थियों की पीठ थपथपाना आदि यह शाब्दिक सकारात्मक पुनर्बलन का कार्य करते हैं

इसी प्रकार नकारात्मक पुनर्बलन दो प्रकार के होते हैं

1.शाब्दिक नकारात्मक पुनर्बलन- कई बार कक्षा में अधिगम स्थायी करने के लिए कई उद्दीपनों को हटाना भी आवश्यक होता है जैसे- ग़लत, बेहूदा, अनुशासनहीनता आदि लेकिन इन उद्दीपनों को प्रयोग करने से विद्यार्थी को यह लगेगा कि शिक्षक भरी कक्षा में उसकी आलोचना कर रहा है अतः इस प्रकार के पुनर्बलन से बचने की कोशिश करना चाहिए

2.अशाब्दिक नकारात्मक पुनर्बलन- कक्षा में कई अवसरों पर शिक्षक अशाब्दिक नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग करते हैं जैसे- गुस्से में देखना, हाथ दिखाकर कर दंड देने का इशारा करना, आंखें तिरछी करके देखना आदि शिक्षक को ऐसे अशाब्दिक नकारात्मक पुनर्बलन से भी बचना चाहिए

पुनर्बलन कौशल के घटक (Components of reinforcement skills)


  1. प्रशंसात्मक कथनों का प्रयोग 
  2. हाव भाव तथा अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग 
  3. छात्रों के विचारों एवं भावों में अपनी सहमति प्रकट करना 
  4. छात्रों के सुझाव का समर्थन करना 
  5. पुनर्बलन का समुचित उपयोग करना 
  6. छात्रों के सही उत्तरों को श्यामपट्ट पर लिखना 
  7. नकारात्मक अशाब्दिक कथनों का प्रयोग 
  8. नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग 
  9. सकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग 
  10. सकारात्मक का अशाब्दिक कथनों का प्रयोग

श्यामपट्ट लेखन कौशल (Blackboard writing skills)


श्यामपट्ट शिक्षण संस्था में उतना ही आवश्यक हैं जितनी डेस्क, रजिस्टर, कुर्सियाँ या अन्य वस्तुएं। यह शिक्षा का सबसे सस्ता तथा महत्वपूर्ण साधन है यह शिक्षा का अभिन्न अंग है श्यामपट्ट कौशल अत्यधिक महत्वपूर्ण है प्रत्येक अध्यापक की आवश्यकता के अनुसार इसका अनेक प्रकार से लाभ उठा सकता है इस पर हर प्रकार के हैं ग्राफ, मानचित्र, चार्ट बना सकते हैं इसका उल्लेख के लिए उपयोग किया जा सकता है सफेद चॉक के अतिरिक्त विज्ञान तथा समाज विज्ञान जैसे- विषयों में रंगीन चॉक का प्रयोग करके प्रभावोत्पादक को बढ़ाया जा सकता है 

श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के घटक (Components of Blackboard Experimentation Skills)

  1. श्यामपट्ट कार्य कक्षा में उचित रेखा चित्र की स्पष्टता और सुंदरता 
  2. आवश्यकतानुसार रेखा चित्र बनाना 
  3. सभी बिंदुओं को निरंतरता से लिखना 
  4. अनावश्यक बातों को मिटाना 
  5. पाठ से संबंधित बातों को क्रमबद्ध ढंग से लिखना 
  6. अक्षरों के आकार का कक्षा के अनुरूप होना 
  7. शब्दों तथा अक्षरों के बीच समुचित स्थान होना 
  8. श्यामपट्ट पर समानान्तर पंक्तियों में लिखना 
  9. अक्षरों कों सीधी रेखा में लिखना 
  10. अक्षरों का सीधा होना 
  11. श्यामपट्ट कार्य में स्वच्छता 
  12. श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों की स्पष्टता





स्पष्टीकरण का कौशल (Explanatory skills)


शिक्षण में अनेक प्रकार के सिद्धांत प्रत्यय तथा नियमों आदि को समझना पड़ता है इसके लिए शिक्षक इनकी व्याख्या करता है इस व्याख्या स्पष्टीकरण के कौशल के अंतर्गत विषय वस्तु पर आधारित परस्पर पूरी तरह से संबंधित संबंध तथा सार्थक कथन शिक्षक द्वारा दिए जाते हैं 

स्पष्टीकरण कौशल के घटक (Components of explanatory skills)


  1. छात्रों के बोर्ड के परीक्षण हेतु बीच-बीच में पूछे गए प्रश्न 
  2. विचारों में परस्पर जोड़ने वाले शब्दों का प्रयोग 
  3. असम्बद्ध कथनों की अनुपस्थिति 
  4. कथनों में तारतम्यता होना 
  5. उपयुक्त शब्दों का प्रयोग 
  6. भाषा में प्रवाह होना 
  7. निष्कर्षात्मक कथन स्पष्ट होना 
  8. प्रारंभिक दिनों का स्पष्टता से प्रयोग

उद्दीपन परिवर्तन कौशल (Stimulus change skills)


छात्रों का ध्यान आकर्षित करने के लिए तथा ध्यान को पाठ में लगाए रखने के लिए शिक्षक अपने व्यवहारों में जान-बूझकर जो परिवर्तन लाता है उसे उद्दीपन परिवर्तन कौशल विकास कहते हैं शिक्षक शिक्षण को रोचक बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों का प्रयोग करता है जैसे- सहायक सामग्री का प्रयोग, श्यामपट्ट पर लेखन करना, छात्रों के पास जाकर प्रश्न पूछना, हाथ से इशारे करना आदि 

उद्दीपन परिवर्तन कौशल के घटक (Components of stimulus change skills)


  1. छात्रों का सहयोग 
  2. दृश्य श्रव्य क्रम परिवर्तन 
  3. मौन विराम 
  4. छात्र शिक्षक अंतः क्रिया में परिवर्तन 
  5. भाव केंद्रीयकरण 
  6. स्वर में उतार-चढ़ाव 
  7. हाव-भाव, मुखमुद्रा, आंखों व हाथों के संकेत 
  8. शरीर संचालन

दृष्टांत कौशल (Illustration skills)


जब शिक्षण प्रक्रिया में सिद्धांत, नियम या प्रतियों को शिक्षक व्याख्यान के द्वारा स्पष्ट नहीं कर पाते तब वह कई बार चित्रों, स्पष्टीकरण तथा उदाहरणों का सहारा लेकर उन्हें स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं दृष्टांतों तथा उदाहरणों के माध्यम से शिक्षक नवीन, जटिल व अमूर्त ज्ञान को सरलता से छात्रों तक पहुंचा देते हैं दृष्टांत कौशल के माध्यम से शिक्षक जटिल तथा अमूर्त विज्ञान को सरल, सहज तथा बोधगम्य बना देते हैं इसके प्रयोग हेतु शिक्षक को विभिन्न सम्प्रत्यय, सिद्धांत, नियम आदि को समझने के लिए पहले से ही समुचित उदाहरण तथा दृष्टांत का चयन कर लेना चाहिए फिर उन उदाहरणों एवं दृष्टांत को कक्षा में प्रभावशाली विधि से कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए उदाहरणों तथा दृष्टान्तों के माध्यम से शिक्षा के संप्रत्यय एवं सिद्धांत आदि के साथ संबंध प्रदर्शित करते हेतु उन्हें बोधगम्य बनाने का प्रयास करना चाहिए 

दृष्टान्त कौशल के घटक (Components of illustration skills)


  1. छात्रों से उसी प्रकार के अन्य उदाहरणों का प्रस्तुतीकरण 
  2. निगमन उपागम का प्रयोग 
  3. आगमन उपागम का प्रयोग 
  4. उदाहरणों की रोचकता 
  5. उदाहरणों की सरलता 
  6. उदाहरणों की सार्थकता