शैक्षिक समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषाएं, उद्देश्य, आवश्यकता

 समाजशास्त्र का अर्थ (Meaning of Sociology)




शाब्दिक अर्थ में 'समाजशास्त्र' का अर्थ है– 'समाज का शास्त्र' या 'समाज का विज्ञान' समाजशास्त्र शब्द Sociology का हिंदी रूपांतरण है समाजशास्त्र वास्तव में समाजिक अंतरसंबंधों का विज्ञान है यह समूह का अध्ययन करता है यह मानव व्यवहार को प्रभावित करने वाले प्रत्येक तत्व का अध्ययन करता है अतः इसमें सभी मानवीय संबंधों का अध्ययन किया जाता है








समाजशास्त्र की परिभाषाएं (Definitions of Sociology)


ओटावो– संक्षेप में, शैक्षिक समाजशास्त्र वह विज्ञान है शिक्षा एवं समाज के संबंधों का अध्ययन करता है

रोसेक– शैक्षिक समाजशास्त्र, समाजशास्त्र का वह पक्ष है जो कि आधारभूत शैक्षिक समस्याओं का समाधान करता है

गिलिन और गिलिन के अनुसार– "व्यापक अर्थों में समाजशास्त्र का विज्ञान है जो मानव समूह के संयोग से उत्पन्न होने वाली अंत:क्रियाओं का अध्ययन करता है

मैकाइवर और पेज के अनुसार– समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के अध्ययन में अध्ययन करता संबंधों के विषय में अध्ययन करता है यह मानवीय संबंधों का एक जाल है जिसे समाज कहा जाता है

शैक्षिक समाजशास्त्र के उद्देश्य (Aims Of Educational Sociology)


हरिंगटन (Harington) द्वारा बताए गए समाजशास्त्र के उद्देश्य निम्नलिखित है


  1. सामाजिक प्रगति के साधन के रूप में विद्यालय के कार्यों को समझना 
  2. सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को समझना एवं उन्हें पाठ्यक्रम में उचित स्थान देना 
  3. विद्यालय को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन करना 
  4. जनतंत्र के सिद्धांतों को समझना 
  5. सामाजिक कारकों को समझना (सामाजिक कारकों से अभिप्राय हैं समायोजन, संघर्ष व सहयोग) व बालक पद पर उनके प्रभावों को समझना 
  6. पाठ्यक्रम को सामाजिक रूप प्रदान करना 
  7. समाज के संदर्भ में शिक्षा के कार्यों को समझना।





शैक्षिक समाजशास्त्र का क्षेत्र  (Scope of Educational Sociology)


शैक्षिक समाजशास्त्र के संबंध में कुछ विद्वानों ने अपने विचार इस प्रकार प्रस्तुत किए हैं 

ब्राउन– शैक्षिक समाजशास्त्र समाजशास्त्र के सिद्धांतों को शिक्षा की संपूर्ण प्रक्रिया पर लागू करता है 

रोसेक– "शैक्षिक समाजशास्त्र के क्षेत्र में सब सामाजिक प्रक्रियाएँ आ जाती हैं 

उपर्युक्त विचारों को स्पष्ट होता है कि शैक्षिक समाजशास्त्र क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है इसके अंतर्गत जिन विषयों का अध्ययन किया जाता है उसमें से कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं 

  1. शिक्षक का समाज में स्थान शिक्षक और शिक्षार्थी में पारस्परिक संबंध 
  2. समाज की छोटी-छोटी इकाइयाँ और उनमें परस्पर संबंध 
  3. समाज की आवश्यकताएं, समस्याएं, प्रेरणा 
  4. सामाजिक जीवन का व्यक्ति एवं शिक्षालय पर प्रभाव 
  5. स्थानीय सामाजिक संस्थाओं तथा शिक्षालयों में संपर्क 
  6. शिक्षालयों में उत्तम शिक्षा द्वारा प्रजातांत्रिक के प्रभाव को प्रोत्साहन 
  7. व्यक्ति और समाज की प्रगति के लिए पाठ्यक्रम में वांछित परिवर्तन 
  8. अन्वेषण तथा आलोचनात्मक चिंतन को प्रोत्साहन देना 
  9. पेस, रेडियो, चलचित्र, दूरदर्शन आदि का सामाजिक प्रक्रिया में मूल्यांकन 
  10. शिक्षा पद्धति का निर्धारण करना 
  11. सामाजिक प्रगति एवं सामाजिक नियंत्रण के साधनों की खोज करना





शैक्षिक समाजशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता (Need of the Study of Educational Sociology)


  1. समाज की गतिशीलता के अनुसार यह निरंतर बदलती हुई आवश्यकताओ समस्याओं को हल करने का बेहतर विकल्प है 
  2. शैक्षिक समाजशास्त्र में विद्यालय के स्वरूप व उसके कार्यों पर विचार किया जाता है जिससे विद्यालयों एवं सामुदायिक केंद्रों के रूप को विकसित करने में बहुत सहायता मिलती है 
  3. शिक्षा में अनुशासन हेतु अलग-अलग दृष्टिकोण हैं अनुशासन एक सामाजिक भावना है जो सामाजिक नियमों के पालन के रूप में प्रकट होती है अतः बालक में इसका विकास करने के लिए उन्हें सामाजिक क्रियाओं में भाग लेने के उचित अवसर प्रदान किए जाने चाहिए 
  4. शैक्षिक समाजशास्त्र शिक्षा प्रक्रिया के सामाजिक स्वरूप पर जोर देता है यह शिक्षक व शिक्षार्थी के आपसी संबंध के निर्धारण में सहायता करता है 
  5. समाजशास्त्र सामाजिक क्रियाओं के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करता है तथा इसके ज्ञान से हम निश्चित परिणाम हेतु निश्चित क्रियाओं अर्थात पाठ्यक्रम का चयन कर सकते हैं 
  6. यह शिक्षण विधियों के चयन में सहायक व आवश्यक सिद्ध होता है शिक्षण विधियों को प्रभावी बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है 
  7. शैक्षिक समाजशास्त्र के अध्ययन से हमें समाज की आवश्यकताओं और उसकी समस्याओं को समझने का अवसर मिलता है तथा जिसके निवारण हेतु अनेक विधियों की खोज की जाती है जिसके आधार पर शिक्षा के उद्देश्य निश्चित किए जाते हैं 
  8. शैक्षिक समाजशास्त्र के अंतर्गत शिक्षा की प्रक्रिया की व्याख्या की जाती है क्योंकि शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है और यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य अंत:क्रिया के परिणाम स्वरुप आगे बढ़ती है इसके ज्ञान से शिक्षा के वास्तविक संप्रत्यय को जानने में सहायता मिलती है 
  9. शैक्षिक समाजशास्त्र समाजशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा है इसमें भी सामाजिक संस्थाओं, रीति रिवाजो, आदर्श, मूल्यों एवं अभिवृत्तियों आदि के अध्ययन पर बल दिया जाता है इनका ज्ञान व्यक्ति की प्रगति एवं उत्थान के लिए आवश्यक है।