विद्या, अविद्या, इल्म, तालीम
विद्या का अर्थ
विद्या संस्कृत भाषा का शब्द है विद्या की उत्पत्ति― 'वेत्ति अनया सा विद्या' अर्थात जिसके द्वारा जाना जाएगा वह विद्या है शिक्षा की उत्पत्ति― 'शिक्ष्यते अनया इति शिक्षा' अर्थात जिसके द्वारा सीखा जाए वह शिक्षा है विद्या शब्द का प्रयोग करें कहीं शिक्षा के लिए ही किया जाता है
विद्या शब्द संस्कृत भाषा के 'विद्' धातु से उत्पन्न है जहां पर इसका अर्थ जानना, विदित अथवा ज्ञान की प्राप्ति होता है विद्या शब्द शिक्षा से उच्च श्रेणी का माना जाता है
विद्या का मुख्य आशय है― सत्य तथा असत्य के बीच अंतर को जानना अर्थात वास्तविकता तथा भ्रम में अंतर करना और उन्हें ठीक-ठीक जानना इसे वेदांत में ज्ञान कहा गया है वस्तुतः ब्रह्म और अविद्या का ज्ञान ही विद्या कहा जाता है विद्या का मूल अर्थ है सत्य का ज्ञान, परमार्थ तत्वों का ज्ञान या आत्मज्ञान।
विद्या के प्रकार
विद्या के दो प्रकार में विभाजित किया जा सकता है।
1. परा विद्या- मुंडकोपनिषद् में इस विद्या की विस्तार से चर्चा की गई है उसके अनुसार परम विद्या विद्या है जो कि मानव का चरम सत्य से साक्षात्कार कराती है इसे सर्व विद्या प्रतिष्ठा के पद पर भी आसीन किया गया है इसे वैदिक ज्ञान का केंद्र बिंदु माना गया है मोच प्राप्त करने का एकमात्र साधन परा विद्या है इसी को आत्मविद्या या ब्रह्मविद्या भी कहते हैं परा विद्या का आशय आध्यात्मिक विद्या से लगाया जाता है मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए उसे परा विद्या का अध्ययन करना होता था
2.अपरा विद्या- यह निम्न कोटि की विद्या मानी गई है यह सगुण ज्ञान से संबंध रखती है इससे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। इसके अंतर्गत समस्त वेदों का अध्ययन निहित था इसे 'त्रयी स्वाध्याय' (ऋजु, साम, यजुर्वेद) नाम दिया गया था। इसके अतिरिक्त छात्र को व्याकरण, साहित्य, ध्वनि, विज्ञान चिकित्सा विज्ञान, इतिहास, दर्शन, तर्कशास्त्र आदि का ज्ञान प्रदान किया जाता था यह विद्या मनुष्य को सांसारिक जीवन की कुशलताओं में पूर्ण करके उसे जीवनयापन में सहायता करती थी।
अविद्या
अविद्या एक संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ अज्ञान, भ्रम, मूर्ख तथा विद्या के विपरीत है अर्थात अविद्या का अर्थ हुआ अशिक्षित यह शब्द बड़े पैमाने पर हिंदू ग्रंथों में प्रयोग किया जाता है साथ-साथ उपनिषद् सहित बौद्ध ग्रंथों में बहुतायत से इसका प्रयोग किया गया है मुख्य रूप से अविद्या से आशय अज्ञानता से लिया जाता है भ्रम एवं अज्ञान भी इसके पर्याय हैं।
इल्म
इल्म एक ऐसा जौहर है जिसके बगैर आदमी अच्छाई और बुराई के बीच फर्क नहीं महसूस कर सकता। इल्म हासिल करने का असल फायदा यही है कि इंसान अच्छाई और बुराई के फर्क को समझे। इनमें एक उर्दू शब्द है जिसका तात्पर्य ज्ञान से है भारत में मुस्लिम शासकों ने 500 वर्षों के शासनकाल के दौरान एक नई संस्कृति एवं धर्म का प्रचार-प्रसार किया जिससे शासन प्रणाली उनकी सभ्यता के अनुसार सुव्यवस्थित हो सके राजनीतिक सत्ता पर अपना प्रभाव बरकरार रखने के उद्देश्य से मुस्लिम शासकों ने परंपरागत भारतीय शिक्षा के आदर्शों तथा संस्कृतियों को हतोत्साहित किया मुस्लिम शासकों ने इस्लामीइलम (ज्ञान) के प्रति पर्याप्त रुचि दिखलायी। प्राय: सभी मुस्लिम शासक शिक्षित थे उन्होंने को तालीम देने के लिए मदरसों का निर्माण करवाया और प्रशासनिक शिक्षा व भाषा का ज्ञान उन मदरसों में दिया जाने लगा।
तालीम
तालीम जिसका मतलब अरबी में शिक्षा है तालीम की मुख्य गतिविधि प्रारंभिक बचपन, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के विकास और प्रबंधन है तालीम परियोजना में ब्रिटिश, अमेरिका और अन्य देश मिलकर अंतरराष्ट्रीय प्राथमिक पाठ्यक्रम, प्रारंभिक बचपन कार्यक्रम, बहुभाषी रचनात्मक कला और सामाजिक रहन-सहन के पाठ्यक्रम प्रदान करता है इसका प्रमुख उद्देश्य विश्व के सभी देशों में शांति लाकर मानव जाति का विकास करना है तालीम शब्द किसी समुदाय विशेष के लिए ना होकर सर्वव्यापी शिक्षा है समाज में रहने वाले सभी सामाजिक प्राणियों का यह कर्तव्य है कि वह अपने समाज में आने वाली नई पीढ़ियों को अपने आदर्शों और मौलिक कर्तव्यों का निर्वाह करने के लिए उन्हें तालीम देकर प्रेरित करें
डॉ जाकिर हुसैन ने कहा है कि "मेरी जिंदगी के दो अहम मशगले हैं एक पढ़ना-पढ़ाना दूसरा बागवानी" वे आगे लिखते हैं कि "अगर दूसरे जन्म में मुझे इंसान का जन्म मिलता है तो मैं बागवान होता" शिक्षक और बागवान दोनों एक बराबर हैं एक का काम बच्चों की तो दूसरें का काम फूल पौधों की देखभाल और उन्हें उभारना है।
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